दिल्ली, 19 जून| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरी पारी के लिए अनिच्छा जाहिर करने के बाद देश के उद्योग जगत ने रविवार को राजन के उल्लेखनीय योगदान की सराहना की। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने यहां जारी एक बयान में कहा, “राजन का योगदान उल्लेखनीय है और एक चुनौतीपूर्ण समय में देश की अर्थव्यवस्था में विश्वास का माहौल पैदा करने का एक बड़ा कारण है।”
उन्होंने कहा, “आरबीआई गवर्नर ने बैंकिंग नियमन, मौद्रिक नीति और विनिमय दर में कई संरचनागत बदलाव किए, जिसका अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर पड़ेगा और उन्हें हमेशा उनके अतुलनीय योगदान के लिए याद किया जाएगा।”
नेवतिया ने कहा, “हमें विश्वास है कि आरबीआई के मौजूदा गवर्नर का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनके बेहतर कार्यो को आगे बढ़ाने के लिए सरकार जल्द ही एक सक्षम व्यक्ति को ढूंढ़ लेगी।”
राजन ने शनिवार को अपने सहयोगियों से कहा कि आरबीआई गवर्नर के रूप में दूसरे कार्यकाल की उनकी इच्छा नहीं है और सितंबर में कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह फिर से शिक्षण के क्षेत्र से जुड़ जाएंगे।
राजन को 2013 में उस समय आरबीआई गवर्नर बनाया गया था, जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपने राहत कार्यक्रम को बंद करने की घोषणा की थी और बढ़ते चालू खाता के डर से रुपये में डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट दर्ज की गई थी।
आरबीआई ने कई उपायों से देश की मुद्रा में स्थिरता लाई और इसके कारण देश में निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा।
पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने कहा, “रघुराम राजन का दूसरा कार्यकाल नहीं चाहने का फैसला देश की अर्थव्यवस्था को महंगा पड़ सकता है। यह शुभ संकेत नहीं है।”
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने शनिवार को एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा, “हम दुनिया के एक सबसे दक्ष वित्तीय आर्थिक चिंतक को गंवा रहे हैं। यह देश का दुर्भाग्य है और यह देश की सरकार का भी दुर्भाग्य है। आरबीआई पूरी तरह से स्वायत्त संस्थान नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि राजन ने अमेरिका में आवासीय बाजार के संकट के कारण 2008 में आए वित्तीय संकट की पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। इस संकट के कारण अमेरिका गहरी मंदी की गिरफ्त में चला गया था, जिसका पूरी दुनिया पर असर हुआ।
शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में राजन के सहयोगी लुइगी जिंगेल्स ने ट्विटर पर कहा, “राजन आरबीआई छोड़कर बूथ आएंगे। हमारे लिए यह बड़ा लाभ है और भारत के लिए एक बड़ा नुकसान है।”
एसोचैम ने कहा कि गत 24 साल में यह पहला वाकया होगा, जब आरबीआई गवर्नर प्रथम कार्यकाल के बाद ही पद छोड़ रहे हैं।
–आईएएनएस
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