लखनऊ, 5 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को राज्यव्यापी डायल-100 परियोजना का लोगो और एप लांच किया। लोगो और एप का शुभारंभ लोकभवन ऑडिटोरियम में किया गया। इस मौके पर उन्होंने डायल-100 के लिए इस्तेमाल की जाने वाली काले रंग की 4500 डायल उप्र-बोलेरो और इनोवा को भी हरी झंडी दिखाई। ये वाहन पूरे प्रदेश में डायल-100 नियंत्रण कक्ष के अधीन काम करेंगे। ये गाड़ियां साल भर में करीब 22 करोड़ किलोमीटर चलेंगी।
डायल-100 के लोगो में उत्तर प्रदेश पुलिस के शेर वाले चिह्न को छोड़कर बाकी सब अलग ढंग से बनाया गया है। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी डायल-100 परियोजना पूरे प्रदेश के लिए है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आपदा में फंसे किसी व्यक्ति की सूचना पर 15 से 20 मिनट के भीतर पुलिस मौके पर पहुंचेगी।
मुख्यमंत्री ने अपने नए दफ्तर लोक भवन में बुधवार को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट डायल-100 के सिटीजन एप और लोगो को लॉन्च किया। ये सिटीजन एप गूगल प्ले स्टोर पर मिलेगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि उप्र पुलिस के लिए यह एप एक क्रांति है। इस एप को मोबाईल में डाउनलोड करने के बाद सीधे पुलिस से जुड़ा जा सकता है।
उप्र पुलिस पूरे राज्य में पहली बार मोबाइल के जरिए उत्तर प्रदेश की जनता से जुड़ गई है। पुलिस विभाग को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि एक-एक करके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। डायल-100 पुलिस और उप्र के लिए सबसे बड़ा फैसला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र के लिए सबसे बड़ा काम डायल-100 है। उन्होंने कहा कि पुलिस के लिए गाड़ियां ली, बिल्डिंग बनाई, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया। उन्होंने कहा, “हर विभाग में समाजवादी लोगों ने उदाहरण पेश किया है। पांच करोड़ पेड़ एक दिन में लगाए हैं। समाजवादी लोगों ने सबसे ज्यादा लैपटॉप बांटे।”
उन्होंने कहा, “लोक भवन को छोड़ना न पड़े, समाजवादी सरकार का कब्जा रहे। हमने बड़ा सपना देखा है, डायल-100 तमाम चुनौतियों से होती हुई जल्द ही मुकाम पर पहुंच रही है। अब इसे पूरा करने का मौका आ रहा है।” उन्होंने कहा कि यह दीपावली के आसपास शुरू हो जाएगी।
डायल-100 एप जनता से जुड़ी हर जानकारी स्टोर करेगा। लोगों को इसमें खुद पंजीकरण कराना होगा। मुसीबत के वक्त पीड़ित जैसे ही पैनिक बटन दबाएगा, पुलिस के सामने उसकी सारी जानकारी आ जाएगी। पीड़ित के लोकेशन और उसके घरवालों को भी आसानी से सूचना पहुंच सकेगी।
एप में पंजीकरण कराते समय लोगों को नाम, फोन नंबर, कहां काम करते हैं, बच्चे कहां पढ़ते हैं, पांच इमरजेंसी संपर्क मोबाइल नंबर, किन-किन भाषाओं की जानकारी है, यह दर्ज कराना होगा। पुलिस आपात स्थिति में विभिन्न भाषाओं के जानकार लोगों से मदद भी मांग सकती है। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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