शिमला, 24 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि भू-अभिलेख अधिनियम में संशोधन के अनुसार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लाभार्थियों को स्थानीय जांच-पड़ताल अथवा राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों को सम्भावित जानकारी के आधार पर प्रमाण पत्र में उप-जाति का उल्लेख किया जाए। उन्होंने उपायुक्तों को इस सम्बन्ध में निर्देश दिए हैं कि ये प्रमाण पत्र समुदाय के लोगों को बिना किसी विलम्ब के जारी किए जाएं। मुख्यमंत्री आज यहां गोरखा कल्याण बोर्ड की 14वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार निकट भविष्य में गोरखा समुदाय बाहुल्य संख्या वालेे स्कूलों में नेपाली पाठ्यक्रम आरम्भ करने पर विचार करेगी।
उन्होंने चम्बा जिला के ककीरा में गोरखा भवन के आस-पास की भूमि की वन स्वीकृति प्राप्त करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के निर्देश दिए तथा धर्मशाला के दाड़ी में गोरखा सामुदायिक केन्द्र के कार्य में तेजी लाने को कहा।
सदस्यों द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र जारी करने में कारणों को लेकर देरी के संबंध में मुख्यमंत्री ने उपायुक्तों से राजस्व अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा ताकि लाभार्थियों को इन प्रमाण पत्रों को जारी करने में किसी प्रकार का अनावश्यक विलम्ब न हो।
समुदाय के सदस्यों ने राष्ट्रीयगान तथा अनेक अन्य देशभक्ति के गीतों के सुरों के रचनाकार कैप्टन राम सिंह को ‘भारत रत्न’ प्रदान करने का मामला अग्रेषित करने की मांग भी की।
वीरभद्र सिंह ने समुदाय को आश्वासन दिया कि उनकी शिकायतों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाएगा। उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों को समुदाय के मामलों को स्थानीय तौर पर निपटाने के निर्देश दिए।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने समुदाय के लिए कार्यान्वित की जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का ब्यौरा दिया। मुख्य सचिव श्री पी. मित्रा और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
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