एक मिनट का तेज कसरत भी रख सकता है फिट

अब कसरत नहीं करने का कोई बहाना नहीं चलेगा, क्योंकि शोधकर्ताओं को पता चला है कि एक मिनट का भी तीव्र कसरत 45 मिनट के पारंपरिक कसरत जितना फायदेमंद है। अब इस शोध के बाद तो यह बहाना बनाना भी मुश्किल है कि कसरत करने का तो समय ही नहीं मिलता!

कनाडा के ओंटारियो स्थित मैकमेस्टर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ऑफ किसियोलॉजी और शोध दल के प्रमुख मार्टिन गिबाला ने बताया, “यह काफी समय की बचत करनेवाला कसरत रणनीति है। अत्यअल्प समय का गहन अभ्यास भी उल्लेखनीय रूप से प्रभावी है।”

वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान यह पता लगाया कि स्पिरिट इंटरवल ट्रेनिंग (एसआईटी) मॉडरेट इंटेंसिटी कंटीन्यूअस ट्रेनिंग (एमआईएसटी) की तुलना में कितना प्रभावी है जिसकी सिफारिश सार्वजनिक स्वास्थ्य के दिशा निर्देशों में की जाती है।

शोध के दौरान कार्डियोरेस्परेटरी फिटनेस और इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता की जांच की गई।

इसके तहत कुल 27 सुस्त पुरुषों की भर्ती की गई और उन्हें 12 हफ्तों के लिए गहन और पारंपरिक दोनों तरीकों के कसरत करने को दिए गए, साथ ही एक समूह को बिल्कुल भी कसरत नहीं करने को कहा गया।

एसआईटी प्रोटोकॉल के तहत 20 सेकेंड तक ऑल आउट साइकिल स्प्रिंट कसरत करना था जो सबसे अधिक प्रभावी पाया गया।

इस 10 मिनट के वर्कआउट में 2 मिनट का वार्म अप और तीन मिनट का कूल डाउन भी शामिल था। और तीक्ष्ण कसरतों के बीच में 2 मिनट की आसान साइकिलिंग भी शामिल है।

इस नए अध्ययन में इस समूह की तुलना दूसरे समूह से की गई, जिन्होंने 45 मिनट लगातार साइकिल चलाई साथ वार्मअप और कूलडाउन में सिट प्रोटोकॉल जितना ही समय लिया।

ऑनलाइन जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित इस शोध में कहा गया कि 12 हफ्तों के प्रशिक्षण के बाद दोनों समूहों का परिणाम उल्लेखनीय रूप से एक जैसा था।

गिबाला कहते हैं, “ज्यादातर लोग कसरत नहीं करने का बहाना यही बनाते हैं कि उनके पास समय नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारे अध्ययन का निष्कर्ष है कि कम समय में भी तेज कसरत से स्वास्थ्य संबंधी फायदा मिलता है।”

(आईएएनएस)