एनजीओ को मिले विदेशी चंदे की जांच का प्रधानमंत्री से आग्रह

नई दिल्ली, 29 जून | देश के तंबाकू कानूनों में बदलाव की लॉबिंग के लिए गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को मिले विदेश चंदे की जांच कराने का आग्रह बीड़ी कामगारों के एक संघ ने प्रधानमंत्री से की है। भारतीय मजदूर संघ से जुड़े अखिल भारतीय बीड़ी मजदूर संघ (एबीबीएमएमएस) ने आरोप लगाया है कि गैर सरकारी संगठनों को विदेशों से 256,60000 डॉलर मिले हैं। इस धन से उन्हें मीडिया, राजनेताओं और सांसदों को प्रभावित करने को कहा गया है, ताकि वे इस तरह का कानून बनवाने में मदद करें, जिससे सिगरेट बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीय बाजार में प्रवेश में मदद मिल सके।

प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित एक पत्र में कहा गया है, “तंबाकू उत्पादों के लिए ऐसे कानून बनाने के लिए, जिनसे बहुराष्ट्रीय सिगरेट कंपनियों को लाभ हो, गैर सरकारी संस्थाएं, मीडिया और राजनेता लॉबिंग कर रहे हैं। इसके लिए ये संस्थाएं विदेशों से मिली धनराशि को मीडिया और राजनीतिक लॉबिंग के लिए खर्च कर रही हैं, जिनके उत्पाद तस्करी के जरिए भारत आते हैं।” पत्र में हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए जांच का आदेश देने की मांग की गई है।

एबीबीएमएमएस के अध्यक्ष कलाल श्रीनिवास द्वारा लिखित इस पत्र में यह भी कहा गया है कि 85 फीसदी हिस्से पर स्वास्थ्य की चेतावनी वाली तस्वीर के आदेश को लागू करने से बहुराष्ट्रीय सिगरेट कंपनियों के तस्करी के जरिए आए उत्पादों को लाभ मिलेगा।

पत्र में कहा गया है, “हम समझते हैं कि बहुत सारी स्वयंसेवी संस्थानों ने इन नियमों को बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका स्वागत है.. हालांकि जब धन के स्रोत का पता चला तो हैरान कर देने वाला आंकड़ा यह मिला कि इन स्वयंसेवी संस्थानों एवं अन्य संगठनों ने कुल 256,60,000 डॉलर पाए हैं।”

पत्र के अनुसार, 39 स्वयंसेवी संस्थाओं को विदेशों से पैसे मिले हैं।

संघ के अनुसार, इनमें अधिकांश पैसे से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) फ्रेमवर्क कांवेंशन ऑन टुबैको कंट्रोल(एफसीटीसी) को लागू करने को बढ़ावा देना था। जबकि अमेरिका जैसे विकसित देश ने एफसीटीसी को मंजूर नहीं किया है।

टोबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि 85 फीसदी तस्वीर वाली चेतावनी ने वैध सिगरेट उद्योग को बर्बाद कर दिया है और अवैध व्यापार को बढ़ावा दिया है।

फिक्की के ताजा अध्ययन के अनुसार, अवैध सिगरेट का हिस्सा सिगरेट उद्योग में 20.2 प्रतिशत है, जिससे सरकार के राजस्व में नौ हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।

–आईएएनएस