नई दिल्ली, 13 अगस्त | सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि सभी 2,000 सीसी या इससे ऊपर इंजन क्षमता वाली डीजल गाड़ियां अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पंजीकृत कराई जा सकेंगी। इसके लिए इन वाहनों और कार के पंजीकरणकर्ता को एक्स शोरूम कीमत का एक प्रतिशत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराना होगा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की खंडपीठ ने 16 दिसंबर, 2015 के अपने आदेश को वापस लेते हुए कहा कि कार का पंजीकरण तभी होगा, जब एक प्रतिशत पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रभार भुगतान का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाएगा।
न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अलग से एक खाता खोलेगा, जिसमें कार निर्माता या उनके वितरक पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रभार जमा करेंगे।
न्यायालय ने यह भी सवाल रखा कि क्या इस तरह का पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रभार (ईसीसी) सभी डीजल कारें जो 2,000 सीसी से नीचे की हैं, उन सब पर लगा दिया जाए?
खंडपीठ ने कहा कि इसका फैसला उचित कार्यवाही के बाद किया जाएगा।
खंडपीठ ने केंद्र सरकार की उस दलील को ध्यान में रखते हुए कि अदालत ईसीसी नहीं थोप सकती, क्योंकि उसके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है, इस सवाल को अनुत्तरित ही रखा कि क्या आगे एक प्रतिशत ईसीसी बढ़ाया जा सकता है?
सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने न्यायालय के ईसीसी लागू करने के कदम का विरोध करते हुए खंडपीठ से आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार के ईसीसी नहीं थोपे जाने की मांग वाली याचिका की सुनवाई करे।
ईसीसी के भविष्य में बढ़ाए जाने की संभावना पर विचार की बात वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने रखी, जो न्यायालय के पर्यावरण मामलों में सहायक या न्यायमित्र हैं, ने खंडपीठ से आग्रह किया, “यह साफ है कि यह नहीं माना जाना चाहिए कि न्यायालय ने एक प्रतिशत ईसीसी को स्वीकार कर लिया है। ”
जैसा की भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इशारा किया है कि यह बढ़ाई जा सकती है। ईसीसी कितनी होनी चाहिए साल्वे ने कहा, “हम इसे कितना तक बढ़ा सकते है।”
साल्वे के कहने का अभिप्राय समझकर, एक कार निर्माता की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिघवी ने न्यायालय से कहा कि भविष्य में कोई बढ़ोतरी पूर्वप्रभावी नहीं होनी चाहिए।
कई निर्माताओं की तरफ से मौजूद वकीलों ने अपनी भौंहे तान ली, जब साल्वे ने दस मिनट की अपनी बहस में कहा कि एक प्रतिशत ईसीसी सभी वाहनों पेट्रोल और डीजल दोनों से चलने वाले पर लगाई जानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ठाकुर ने कहा, “आप (अगली तारीख में ) इस पर आगे बहस कर सकते है कि पेट्रोल कार भी डीजल वाहनों की तरह प्रदूषण के लिए योगदान दें, तब हम इस फैसले को आगे विस्तार देंगे।”
सर्वोच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर, 2015 के आदेश में 2,000 सीसी या इससे ऊपर की इंजन क्षमता वाले डीजल वाहनों के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगा दिया था।
ध्यान देने योग्य बात है कि ज्यादा उच्च इंजन क्षमता वाले डीजल वाहन से अत्यधिक प्रदूषण होता है। शीर्ष अदालत ने अपने 16 दिसंबर के आदेश में प्रतिबंध को यह कहकर जायज ठहराया था कि ये वाहन समाज के ज्यादा संभ्रात वर्गो द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं और इनके पंजीकरण पर प्रतिबंध से आम आदमी पर असर नहीं होगा।
–आईएएनएस
Follow @JansamacharNews