मुंबई, 18 सितम्बर | रिलायंस जियो ने फोन कॉल्स के बेहतर इंटरकनेक्शन की सुविधा मुहैया कराने के भारती एयरटेल के फैसले का रविवार को स्वागत किया। कंपनी ने लेकिन यह भी कहा कि इस तरह के पॉइंट्स की संख्या बढ़ाने का जो प्रस्ताव है, वह वास्तविक जरूरत से बहुत कम है। इससे बड़ी संख्या में होने वाले कॉल ड्रॉप के मुद्दे का समाधान नहीं निकल पाएगा।
इंटरकनेक्शन वह प्रक्रिया है, जिसके जरिए एक कंपनी के फोन से दूसरी कंपनी के फोन से बात होती है। एयरटेल ने इस पर जवाबी बयान जारी कर इसे झूठा ठहराया है।
जियो ने एक बयान में कहा, “दोनों नेटवर्क्स के बीच मौजूदा कॉल्स का जो प्रवाह है और एयरटेल के पॉइंट्स संवर्धन का जो प्रस्ताव है, वह तब भी इंटरकनेक्शन क्षमता की जरूरत के एक-चौथाई से भी कम है।”
हर दिन दोनों नेटवर्क के बीच दो करोड़ कॉल से अधिक कॉल नाकाम हो रहे हैं। यह सेवा की गुणवत्ता मानदंड बहुत पीछे है और यह अनुपात खतरनाक है। दोनों दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के उपभोक्ताओं के हित में तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एयरटेल को इंटरकनेक्शन के प्वाइंट्स बढ़ाने के लिए दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी जो कि लाइसेंस की शर्तो के अनुपालन के तहत कंपनी को इसे खुद करना है।
यह बयान एयरटेल के बयान के एक दिन बाद आया है। एयरटेल ने कहा था कि उसे जियो की ओर से इंटरकनेक्शन का बकाया भुगतान मिल गया है। इसके बाद वह इस तरह के पॉइंट्स के संवर्धन के बाद उसकी कुल संख्या वर्तमान संख्या की तीन गुना हो जाएगी। यह भी कहा था कि यह क्षमता 1.5 करोड़ जियो के ग्राहकों की सेवा के लिए पर्याप्त होगी।
एयरटेल ने यह भी कहा था कि यह संख्या जियो के जितने ग्राहक हैं, उससे बहुत अधिक है।
एयरटेल ने कहा, “इंटरकनेक्ट सेवा शुरू होने के 90 दिनों में रिलायंस जियो ने भुगतान कर दिया है। एयरटेल करार की जिम्मेदारी से काफी अधिक इंटरकनेक्ट के लिए और पॉइंट जारी करने के लिए काम करेगा।”
लेकिन इसे जियो ने असत्य करार दिया है।
जियो का कहना है, “भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) सेवा की गुणवत्ता के मुताबिक चलने के लिए 90 दिन नहीं देता। प्राधिकरण वास्तव में संचालकों को तत्परता के साथ जरूरत के मुताबिक इंटरकनेक्शन क्षमता मुहैया कराने को कहता है, ताकि सेवा के मानदंड के अनुसार गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके और इस विषय को किसी के आकस्मिक व्यय या प्रतिबंधों का विषय नहीं बनाया जाए।”
एयरटेल जिस तरह का इंटरकनेक्शन का पॉइंट मुहैया करा रहा है, जियो ने उसमें भी खोट पाया है। उसका कहना है कि यह स्पष्ट तौर पर बाजार पर अपने प्रभुत्व का गलत लाभ उठाने का मामला है।
इसमें कहा गया है, “ऐसा लगता है कि सेवा की गुणवत्ता ऐसी ही खराब रहेगी और इस तरह के असहयोगपूर्ण व्यवहार के परिणामस्वरूप भारतीय ग्राहकों को बेहतर और मुफ्त वॉयस सेवा के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा।”
लेकिन एयरटेल ने बाद में एक बयान जारी कर जियो पर इंटरकनेक्शन मुद्दे पर जानबूझकर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। उसने यह भी कहा है कि जियो की शिकायतें अपने नेटवर्क की कुछ तकनीकी कठिनाइयों को ढंकने के लिए चाल हो सकती है।
टकराव का दूसरा मुद्दा पोर्टेबिलिटी का है।
जियो ने कहा है कि प्रतिद्वंद्वी कंपनी संभावित उपभोक्ता के मोबाइल नंबर की पोर्टेबिलिटी को रोक रही है, ताकि वे जियो के उपभोक्ता नहीं बनें। लेकिन दूसरे पक्ष ने कहा है कि सभी आग्रहों को दिशानिर्देश के मुताबिक प्रोसेस किया जा रहा है।
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