एसिड अटैक (Acid Attack) से बचाने के लिए एसिड की बिक्री पर सख्त नियम लागू किए जाएं, इसका लाइसेंस देने का एकमात्र अधिकार जिलाधिकारियों के पास हो, हर 15 दिन के बाद इसके स्टॉक की पुष्टि की जाए, और एसिड की बिक्री पर नियमित रूप से जानकारियां देना आवश्यक किया जाए।
यह सिफारिश और सुझाव राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) द्वारा आयोजित ‘एसिड अटैक’ पर नोडल अधिकारियों की अखिल भारतीय बैठक में दिया गया। महिलाओं पर होने वाले एसिड अटैक पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने विचार-विमर्श किया और सरकार को सुझाव भी दिए।
अपने उद्घाटन भाषण में, सुश्री रेखा शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद, सच्चाई यह है कि एसिड अभी भी बिक्री के लिए उपलब्ध है।
बैठक में एसिड एवं अन्य संक्षारक पदार्थों की खरीद-बिक्री, जीवित बचे लोगों को मुआवजा देने, उनके उपचार और पुनर्वास पर विचार विमर्श किया गया।
इस बैठक में 23 नोडल अधिकारियों और देश के सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा ने की और इसमें राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त सचिव अशोली चलाई एवं आयोग के वरिष्ठ शोध अधिकारी आशुतोष पांडे ने भी भाग लिया।
एसिड अटैक (Acid Attack) के पीड़ितों की तरह ही पेट्रोल और डीजल हमलों के पीड़ितों के साथ भी समान व्यवहार करने की सिफारिश की।
एसिड अटैक के पीड़ितों की मुफ्त चिकित्सा के लिए निजी अस्पतालों को वित्तीय सहायता प्रदान करने, एसिड अटैक में जीवित बचे लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने, और कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के माध्यम से इन पीड़ित लोगों के लिए एक कॉर्पस फंड बनाने का भी सुझाव दिया।
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