नई दिल्ली, 25 जून | भारत की ‘उड़नपरी’ कहलाने वाली धाविका पी.टी. उषा को भी मात देने वाली पूर्व एथलीट और अभिनेत्री अश्विनी नाचप्पा का कहना है कि आगामी रियो ओलम्पिक में भारतीय एथलीटों से पदक की उम्मीद व्यर्थ है।
अश्विनी ने कहा कि ओलम्पिक खेलों के स्तर पर हमारे पास बेहतर कोच नहीं है और अगर पदक हासिल करना है, तो अभी से मेहनत करनी होगी। तब कहीं जाकर 2024 में पदक की उम्मीद की जा सकती है।
ओलम्पिक के लिए तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर अर्जुन पुरस्कार प्राप्त एथलीट ने आईएएनएस को एक साक्षात्कार में बताया, “हमें इसके लिए बहुत तैयारी करने की जरूरत है। हमारे पास ओलम्पिक के स्तर पर कितने बेहतरीन कोच हैं। आज द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए कितने कोच बन गए हैं, लेकिन परेशानी यह है कि उनके प्रदर्शन को भी देखने की जरूरत है।”
अश्विनी ने कहा, “हम पांच पी.टी. उषा, अश्विनी नाचप्पा, अंजू बॉबी जॉर्ज क्यों नहीं खड़े करते हैं? आप एक रात में ही कोच नहीं बन सकते हैं।”
दिग्गज धाविका ने कहा कि एथलेटिक्स में भी ए-स्तर और बी-स्तर की कोचिंग होनी चाहिए और उनसे आने वाले परिणामों को देखना चाहिए।
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पांच से 21 अगस्त तक होने वाले ओलम्पिक खेलों में पदक जीतने के बारें में पूछे जाने पर अश्विनी ने कहा, “इस बार एथलेटिक्स में कोई पदक जीत पाए, इसकी मुझे आशा नहीं है। मैं आश्वस्त हूं कि एथलीटों का प्रदर्शन अच्छा होगा। कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी टूटते हुए देखे जाएंगे, लेकिन पदक जीतने की उम्मीद नहीं है।”
अश्विनी ने कहा कि मुक्केबाजी, टेनिस, तैराकी आदि में हालांकि, देश के पदक जीतने की उम्मीद है।
दक्षिण एशियाई महासंघ खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं अश्विनी से जब उनके समय से लेकर वर्तमान तक सुविधाओं और तकनीकी तर्ज पर खेल परिदृश्य में आए बदलाव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “काफी बदलाव आए हैं। हम उस वक्त हम ‘सिगल ट्रैक’ पर भागते थे। उस वक्त हमारे पास एक ही सुविधा थी पटियाला में। हम महीनों तक वहीं शिविर में अभ्यास किया करते थे। हालांकि, आज हर जगह सुविधाएं हैं, लेकिन जागरूकता नहीं है। बच्चों को खेल से जोड़ने के लिए सही कार्यक्रम नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब कई कंपनियां खेल में निवेश के लिए आगे कदम बढ़ा रही हैं, जिससे बच्चों को मंच मिल सके। इसका उदाहरण है कबड्डी और फुटबाल। लोग निवेश के लिए तैयार हैं, लेकिन कार्यक्रम अच्छे होने चाहिए।
कर्नाटक के कुर्ग प्रांत में स्थित अर्जुन पुरस्कार प्राप्त दिग्गज धाविका के फाउंडेशन ‘अश्विनीज स्पोर्ट्स फाउंडेशन’ 25 एकड़ की भूमि पर बना हुआ है, जिसमें उनके तथा उनके पति द्वार एक स्कूल का निर्माण भी किया गया है।
इस फाउंडेशन के निर्माण के पीछे की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर अश्विनी ने कहा, “मैंने जब एथलेटिक्स में कदम रखा था, तो मेरे साथ कई एथलीट ऐसी थीं, जो पूरी तरह से इस खेल में शामिल हो गईं और उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी नहीं की। इस तर्ज पर अगर आप चोटिल होने कारण आप खेल से बाहर हो जाते हैं, तो उनके पास कोई और अवसर नहीं होता।”
अश्विनी ने कहा कि उनके लिए खेल को शिक्षा में शामिल करना बेहद जरूरी है। इसलिए, उन्होंने पहले स्कूल की स्थापना की। इसमें वर्तमान में 800 बच्चे पढ़ते हैं और इसके साथ लगे फाउंडेशन में एथलेटिक्स, हॉकी, गोल्फ सहित कई खेलों में छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता है।
बॉलीवुड में भी इन दिनों खेल की झलक देखी जा रही है। मिल्खा सिंह, मैरी कॉम जैसे खिलाड़ियों पर बनी फिल्म से लोगों और विशेषकर युवाओं में खेल के प्रति जागरूकता बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर अश्विनी ने कहा, “लोग प्रभावित हो रहे हैं। कई बच्चों ने मुझसे खेलों में शामिल होने की इच्छा जताई है, लेकिन अगर संरचना की नहीं है तो इसका कोई मतलब नहीं है। हम कई फिल्में भी बना रहे हैं, लेकिन इस बारे में जानकारी और जागरूकता नहीं है। लोगों को उनके आस-पास मिल रही सुविधाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए और इसी से हम आगे बढ़ पाएंगे।”
अश्विनी ने कहा कि सरकार एथलीटों पर पैसा खर्च करती है, लेकिन खिलाड़ी ओलम्पिक में पदक नहीं जीत पाते हैं और ऐसे में उनकी फंडिंग बंद कर देनी चाहिए। सरकार पर पूर्ण रूप से निर्भर होना सही नहीं। एथलेटिक्स में खेल के स्तर को बढ़ाने के लिए केवल ए-टीम पर नहीं, बल्कि बी और सी टीमों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उन्हें भी मजबूत बनाना जरूरी है।
एथलेटिक्स में नाम कमाने के अलावा अश्विनी ने कई तेलुगू फिल्मों में बतौर अभिनेत्री भी काम किया। एक फिल्म उनकी बॉयोग्राफी है, जिसमें उन्होंने अपना किरदार खुद निभाया है। –आईएएनएस
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