रियो डी जनेरियो, 16 अगस्त | रियो ओलम्पिक में पदक न जीत पाने से निराश भारतीय मुक्केबाज विकास कृष्ण यादव ने क्वार्टर फाइनल में मिली हार के पीछे का कारण भारतीय मुक्केबाजी में चल रहा प्रशासनिक गतिरोध बताया।
विकास का कहना है कि भारतीय मुक्केबाजी में चल रहे प्रशासनिक गतिरोध के कारण ही यहां अच्छा प्रदर्शन नहीं दिया गया।
विकास को सोमवार को 75 किलोग्राम वर्ग में 2015 में विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीत चुके उज्बेकिस्तान के बेकतेमीर मेलीकुजीव ने 3-0 से हराया। मनोज यह मैच 27-30, 26-30, 26-30 से हारे।
भारत के शिवा थापा (56 किलोग्राम) और मनोज कुमार (64 किलोग्राम) पहले ही हार चुके हैं। थापा तो पहले ही दौर में हारे थे जबकि मनोज को दूसरे दौर में हार मिली।
हरियाणा के 24 वर्षीय मुक्केबाज ने कहा, “मुझे लगा था कि 15 अगस्त को मैं अपने देश के लोगों को पदक का तोहफा दूंगा, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका।”
विकास ने कहा, “हमारे मुक्केबाजी संघ को प्रतिबंधित किया गया था और इस कारण हम प्रशिक्षण के लिए अन्य देशों में नहीं जा सके लेकिन मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा हूं। मैं अपनी वजह से हारा। मैं माफी मांगना चाहता हूं कि मैं जीत नहीं सका।”
पिछले चार साल से भारतीय मुक्केबाजी प्रशासनिक उथल-पुथल से गुजर रही है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ (एआईबीए) ने चुनाव में भ्रष्टाचार और धोखेबाजी के आरोपों के कारण भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ को प्रतिबंधित कर दिया।
इसके बाद 2014 में ‘बॉक्सिंग इंडिया’ नामक नए संघ ने अपनी जगह बना ली, लेकिन जल्द ही कई राज्य निकायों द्वारा विद्रोह जताए जाने के बाद इसे एआईबीए द्वारा भंग कर दिया गया।
वर्तमान में भारतीय मुक्केबाजी का संचालन एआईबीए द्वारा गठित तदर्थ समिति द्वारा किया जा रहा है। इस कारण देश के मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण लेने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण कहीं न कहीं रियो ओलम्पिक के लिए उनकी तैयारियों पर भी प्रभाव पड़ा।
इसके कारण रियो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाले मुक्केबाजों की संख्या में भी कमी आई। 2012 लंदन ओलम्पिक के लिए सात पुरुषों और एक महिला मुक्केबाज ने क्वालीफाई किया था लेकिन इस वर्ष ओलम्पिक खेलों में केवल तीन मुक्केबाजों ने क्वालीफाई किया।
मेलीकुजीव के खिलाफ अपने मुकाबले के बारे में विकास ने सोमवार को कहा कि उन्होंने शुरुआती राउंड में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन निर्णायकों मे उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज का पक्ष लिया, जिसके कारण वह मानसिक रूप से काफी प्रभावित हुए।
विकास ने कहा, “पहले राउंड के बाद मुझे लगता था कि यह मेरा होना चाहिए। हमने लगभग समान अंक हासिल किए थे लेकिन मेलीकुजीव के पक्ष में उस राउंड की जीत को डाला गया। इसके बाद मैंने अपने खेल में सुधार किया लेकिन मानसिक रूप से काफी प्रभावित था।”
भारतीय मुक्केबाज ने कहा कि उनमें तथा उनके प्रतिद्वंद्वी की ताकत के बीच काफी अंतर था। उन्होंने ‘साउथ पॉ’ के खिलाफ काफी अभ्यास किया था, लेकिन भारत में ऐसे मुक्केबाजों की काफी कमी है।
–आईएएनएस
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