नई दिल्ली, 22 फरवरी | सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में गंभीर रूप से प्रदूषित इलाकों में स्थित सभी औद्योगिक इकाईयों को तीन महीने के भीतर प्राथमिक मलजल शोधन संयंत्र (प्राइमरी इफ्यूयंट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाने का बुधवार को निर्देश दिया और कहा कि ऐसा करने में विफल होने पर उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने नगर निगमों तथा अन्य स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे इन उद्योगों को मलजल शोधन संयंत्र लगाने को कहने को लेकर इश्तेहार लगवाएं।
निर्देशों की श्रृंखला के तहत न्यायालय ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि ऐसा करने में विफल होने वाले उद्योगों के खिलाफ आपराधिक व दीवानी कार्रवाई की जाए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा करने में विफल होने वाली इकाइयों को उद्योग शुरू करने की तभी मंजूरी मिलेगी, जब वे ये संयंत्र लगा लेंगे। –आईएएनएस
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