नई दिल्ली, 20 जुलाई | सिक्किम स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में “मिले-जुले वैश्विक धरोहर स्थल” के रूप में शामिल किया गया है। तुर्की स्थित इस्तांबुल में हुई यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के 40वें सत्र की बैठक के दौरान यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में भारत को शामिल किए जाने की लंबित मांग को मान्यता प्रदान कर दी गई।
यूनेस्को की दो सलाहकार इकाइयों, अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (यूआईसीएन) और अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद् (आईसीओएमओएस) ने पहले ही सिक्किम स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को मिले-जुले स्थल के रूप में शामिल किए जाने के संबंध में 21वें यूनेस्को विश्व धरोहर समिति को अपनी सकारात्मक अनुशंसा दे दी थी।
केएनपी दुनियाभर के संरक्षित क्षेत्रों में सबसे व्यापक ऊंचाई वाली श्रृंखलाओं में से एक है। इस उद्यान में असाधारण खड़े फैलाव वाले करीब 7 किलोमीटर (1220 मी. से 8586 मी.) के दायरे में फैला है, जिसके अंतर्गत केवल 178400 हैक्टेयर क्षेत्र है। 26 किलोमीटर लंबे ज़ेमू ग्लेशियर सहित विभिन्न तालाब और ग्लेशियर यहां स्थित हैं। हिमालय पर्वत श्रंखला यहां काफी संकीर्ण है, जिसके परिणामस्वरूप यहां अत्यधिक खड़े क्षेत्र हैं, जो विभिन्न पर्यावरणीय क्षेत्रों में भेद को बढ़ाता है।
केएनपी वैश्विक जैव विविधता संरक्षण पर्वत श्रंखला के अंतर्गत स्थित है और सिक्किम राज्य के करीब 25 फीसदी क्षेत्र में फैले होने की वजह से, भारत के सर्वाधिक प्रासंगिक जैव विविधता आधारित उद्यान के रूप में इसे स्वीकृति प्राप्त है। केएनपी में विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधे हैं।
केएनपी की सांस्कृतिक प्रासंगिकता को तीन अलग-अलग पहलुओं के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है। इनमें पहला, बेयुल की धारणा अथवा छिपी हुई पवित्र भूमि, दूसरा कंचनजंगा की बहुस्तरीय पवित्र भूमि और इस पवित्र भूमि की सांस्कृतिक एवं धार्मिक प्रासंगिकता, और तीसरा स्थानीय पौधों की विशेष प्रजातियों एवं पर्यावरण के संबंध में लेप्चा की देशज धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यताएं शामिल हैं। इन्हें पारंपरिक ज्ञान औप पर्यावरणीय संरक्षण के ज़बर्दस्त उदाहरण के रूप में जाना जाता है।
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