नई दिल्ली, 12 मई | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि दिल्ली के साथ-साथ ग्वालियर, इलाहाबाद, पटना और रायपुर के अलावा दूसरे कई भारतीय शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और इससे निपटने की तत्काल जरूरत है।
ग्रीनपीस इंडिया राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना नीति को लागू करने की मांग करता रहा है और अपने रिपोर्ट्स में दिल्ली और देश के दूसरे शहरों में प्रदूषण के खतरों की तरफ इशारा किया है। डब्लूएचओ द्वारा गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के अलावा कई अन्य भारतीय शहरों में खतरनाक होते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कार्य-योजना बनाने की जरूरत है।
ग्रीनपीस इंडिया द्वारा उठाए गए मुद्दों को समय-समय पर दूसरी एजेंसियों और संस्थाओं – जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, डब्ल्यूएचओ और सरकार के अपने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) द्वारा जारी शोध में भी दोहराया जाता रहा है।
ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा, “इस प्रक्रिया में सभी राज्यों और सभी संबंधित पक्षों को शामिल करना होगा। वायु प्रदूषण आज एक राष्ट्रीय समस्या है और इससे निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना वक्त की जरूरत है।”
दूसरे कारणों के साथ-साथ भारत में जीवाश्म ईंधन की बढ़ती खपत भी वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह है। वायु प्रदूषण में माध्यमिक कणों एसओ2 और एनओएक्स की उल्लेखनीय वृद्धि के लिए तापीय बिजली संयंत्रों से उत्सर्जन को प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
सुनील ने कहा, “हमें खुशी है कि सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं- जैसे तापीय बिजली संयंत्रों से उत्सर्जन के नए मानकों को लागू करना। अब सबसे जरूरी यह है कि इन नीतियों और मानदंडों को लागू किया जाए, जिससे आम लोगों पर वायु प्रदूषण का मंडरा रहा खतरा कम हो। साथ ही, पर्यावरण पर कई सकारात्मक परिणाम के लिए सरकार को स्वच्छ व अक्षय ऊर्जा की तरफ बढ़ना चाहिए। यह एकमात्र रास्ता है, जिससे हम आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्वस्थ्य भविष्य दे सकते हैं।” — आईएएनएस
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