कर चोरी, आतंकवाद के खिलाफ जी-20 की लड़ाई में भारत शामिल

नई दिल्ली, 16 अप्रैल | धन शोधन, कर चोरी और आतंकवाद के वित्त पोषण के खिलाफ लड़ाई में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जी-20 नेतृत्व के साथ हाथ मिलाया है। उन्होंने कर मुक्त देशों को पारदर्शी होने और सूचनाएं साझा करने का आग्रह भी किया है। यहां आयोजित जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक में भारत की ओर से अरुण जेटली और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने भाग लिया।

बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में असहयोगात्मक रवैया अपनाने के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाने की चेतावनी भी दी गई।

जी-20 नेतृत्व ने कहा कि कर चोरी, भ्रष्टाचार, धन शोधन और आतंक के वित्त पोषण जैसे गैर कानूनी कार्य रोकने के लिए वैश्विक वित्तीय व्यवस्था की पारदर्शिता में सुधार लाना महत्वपूर्ण है।

संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि सभी देशों और गैर सदस्य देशों को धन शोधन पर बने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल का सदस्य बनना चाहिए। इस कार्यबल का गठन 1989 में जी-7 देशों के पेरिस सम्मेलन में हुआ था। भारत इसका सदस्य है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वसंत बैठक के अंत में हुई जी-20 के इस बैठक में कहा गया है कि जो देश 2017 या 2018 तक जानकारी के स्वत: आदान-प्रदान के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं, उन्हें अविलंब प्रतिबद्ध हो जाना चाहिए।

बयान में कहा गया है, “हम जी-20 देशों के साथ काम कर रहे आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) को अधिकार देते हैं कि कर पारदर्शिता के लिहाज से असहयोग करने वाले देशों को चिन्हित करने के लिए जी-20 की जुलाई में होने वाली बैठक तक लक्ष्य के मानक निर्धारित करे।”

बयान में कहा गया है, “अगर वैश्विक मंच के आकलन के अनुरूप प्रगति नहीं हुई तो असहयोगी गैर सदस्य देशों के खिलाफ सुरक्षात्मक कदम उठाने पर जी-20 विचार करेगा।”

यह संयुक्त बयान ऐसे समय में जारी हुआ है, जब एक कर मुक्त देश में 500 भारतीयों समेत दुनिया के शीर्ष नेताओं के खाते होने का खुलासा हुआ है। यह ‘पानामा पेपर लीक्स’ कांड से मशहूर है, जिसकी जांच बहु एजेंसी टीम कर रही है।

भारत के पास हालांकि यह आंकड़ा नहीं है कि उसके नागरिकों का विदेशों में कितना काला धन जमा है, लेकिन एक गैर अधिकारिक आकलन के मुताबिक यह राशि 466 अरब डॉलर से 1.4 खरब डॉलर के बीच हो सकती है।

इससे पहले अमेरिकी वित्तमंत्री जैकब जे. ल्यू के साथ बातचीत में भारत और अमेरिका कर चोरी और आतंक के वित्त पोषण का पता लगाने के लिए संयुक्त कर अंकेक्षण पर सहमत हो गए।

संयुक्त बयान में दोनों देशों के वित्तमंत्रियों ने कहा, “हमलोग सभी तरह के अवैध धन के खिलाफ लड़ने के महत्व पर सहमत हैं। यह वैश्विक आतंकवाद से निपटने का महत्वपूर्ण जरिया है।”(आईएएनएस)