रुवा शाह====
श्रीनगर, 25 मई | अलग-अलग धड़ों में बंटे कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को सरकार की कथित योजना के खिलाफ हाथ मिलाने का एक नया कारण मिल गया है। सरकार ने कथित रूप से प्रवासी हिंदू परिवारों और कश्मीर से सेवानिवृत्त हुए सैनिकों के लिए एन्क्लेव निर्माण की योजना बनाई है।
वर्ष 2008 के अमरनाथ भूमि विवाद के बाद यह पहला अवसर है कि अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी, मीर वाइज उमर फारूक और यासीन मलिक तीनों मुद्दों पर आधारित गठबंधन करने और सरकार को भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले राज्य की जनसांख्यिकी में छेड़छाड़ करने से रोकने पर सहमत हुए हैं।
एक सूत्र ने कहा कि अलगाववादी नेताओं में जो नई एकता बनी है, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख मलिक को उसका मास्टरमाइंड बताया जाता है।
फाइल फोटो : जम्मू. कश्मीर हुर्रियत के नरमपंथी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूक, कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक।
जेकेएलएफ प्रमुख सबसे पहले सोमवार को श्रीनगर स्थित गिलानी के आवास पर मिला। उसके एक दिन बाद दोनों की मीरवाइज से मुलाकात हुई।
मीरवाइज से वैचारिक मतभेद के बाद वर्ष 2003 में हुर्रियत कांफ्रेंस से अलग हुए गिलानी ने कहा, यह अनिवार्य था कि ‘मिलकर लेकिन शांतिपूर्ण तरीके’ से लड़ा जाए और हमारे राज्य की जनसांख्यिकी बदलने की सरकार की योजना को महज मौन दर्शक बनकर नहीं देखा जाए।
गिलानी ने कहा कि अलगाववादी नेतृत्व उन कश्मीरी पंडितों को पुनर्वासित करने की योजना के खिलाफ नहीं है जो पिछली सदी के आखिरी दशक की शुरुआत में घाटी छोड़कर भाग गए थे। यह तब की बात है जब पाकिस्तान प्रायोजित हथियारबंद बलवा शुरू हुआ था।
हुर्रियत के कट्टरपंथी गुट के 86 वर्षीय नेता ने कहा ‘लेकिन अलग एन्क्लेव क्यों? हम उनका स्वागत करेंगे लेकिन नई बस्ती में नहीं। उनका यहां अपना घर है। सरकार का रुख अनैतिक एवं गैर लोकतांत्रिक है। इस मुद्दे पर हमारी एकता कायम रहेगी।’
महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाले पीडीपी-बीजेपी सरकार ने केवल सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए अलग से कालोनियों की बात खारिज कर दी है।
लेकिन वर्ष 2015 के राज्य सरकार के प्रस्ताव में कहा गया है कि कश्मीर का संभागीय प्रशासन करीब 173 कनाल(करीब नौ हेक्टेयर) भूमि श्रीनगर के पुराने हवाई क्षेत्र इलाके में 26 अफसरों, 125 जूनीयर कमीशंड अफसरों और 900 अन्य लोगों के आवास के लिए पैसे लेकर आवंटित करने पर सहमत है।
राज्य के शिक्षा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता नईम अख्तर ने इससे इनकार किया और कहा कि ‘सैनिक कालोनी’ के रूप में किसी जमीन को चिह्न्ति नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कालोनी का सवाल ही नहीं है।
मीरवाइज ने कहा कि स्थिति ने उन्हें एक साथ लाया है क्योंकि सरकार राज्य का विशेष राज्य का दर्जा हटाना चाहती है।
उन्होंने आरोप लगया कि सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) ने सत्ता के लोभ में कश्मीरियों के हितों को बेच दिया।
मीरवाइज ने कहा, पीडीपी ने राज्य के नियंत्रण एवं इस चलाने का अधिकार भाजपा को दे दिया है।
यहां की मुख्यधारा की पार्टी जैसे विपक्ष नेशलन कांफ्रेंस भी सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए अलग कालोनियां बनाने के मुद्दे पर अलगावादियों के विरोध की योजना के साथ हो गई है।
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