नई दिल्ली, 10 अगस्त | केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि कश्मीर में मौजूदा अशांति के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। राज्यसभा में कश्मीर के हालात पर चर्चा के बाद गृहमंत्री ने कहा, “कश्मीर में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें पाकिस्तान का हाथ है।”
उन्होंने कहा, “बीते 23 व 24 जुलाई को जब मैं श्रीनगर व अनंतनाग के दौरे पर था, तब मैंने विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 30 प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की और कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की।”
आंदोलनकारी भीड़ से निपटने के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर चिंताओं पर सदन में गृहमंत्री ने कहा कि सुरक्षाबलों से बल प्रयोग के दौरान अधिकतम संयम बरतने को कहा गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ वार्ता होगी, तो वह पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर को लेकर होगी।
उन्होंने कहा, “सभी संबंधित पक्षों से बातचीत होगी।”
उन्होंने सदन को आश्वस्त कराया कि घाटी में किसी भी चीज की कमी न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि कर्फ्यू लगने के बाद से लेकर अब तक घाटी में 5,600 ट्रक पहुंच चुके हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर घाटी में अलगाववादी बंद का आह्वान कर रहे हैं।
राजनाथ ने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कश्मीर में रहने वाले लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।”
राजनाथ ने यह भी कहा कि घायलों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
कुख्यात आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहानी वानी की आठ जुलाई को हुई मौत के बाद कश्मीर बीते एक महीने से अधिक समय से हिंसा की चपेट में है। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों व सुरक्षाबलों के बीच झड़प में 55 लोगों की मौत हो चुकी है।
कश्मीर में हिंसा और तनाव को लेकर जोरदार बहस के बीच ज्यादातर राजनीतिज्ञों ने सरकार से अशांत कश्मीर में शांति कायम करने और राज्य की समस्याओं के राजनीतिक समाधान पर काम करने का आग्रह किया। राज्यसभा सांसदों ने सरकार से इस स्थिति पर सर्वदलीय बैठक बुलाने और घाटी के लोगों से बातचीत करने के लिए घाटी में सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजने को कहा।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में कश्मीर में जारी हिंसा पर चर्चा शुरू की। आजाद ने साथ ही वहां की समस्याएं सुलझाने के लिए सरकार से भारत के ‘अभिन्न अंग’ के लोगों के दिलों और दिमागों को जोड़ने का आग्रह किया।
आजाद ने घाटी में व्याप्त हिंसा और बंद पर चिंता जताई, जहां हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से जारी हिंसा व तनाव के दौरान अब तक 55 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों घायल हुए हैं।
आजाद ने कहा, “हम हमेशा कहते हैं कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन अभिन्न हिस्सा केवल कागज पर ही नहीं होना चाहिए। दिलों और दिमागों को जोड़ा जाना चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने कश्मीर मुद्दे पर संसद में बोलने की जगह मध्यप्रदेश की एक रैली के दौरान कश्मीर में शांति कायम करने की अपील करने को लेकर भी मोदी पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, “अगर अफ्रीका में कुछ होता है तो आप (मोदी) ट्वीेट करते हैं। पाकिस्तान दुश्मन देश है, फिर भी अगर वहां कुछ होता है तो आप बोलते हैं। लेकिन भारत का ताज (कश्मीर) धधक रहा है। आपने भी दिल में न सही, दिमाग में जरूर इसकी तपिश महसूस की होगी।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर की समस्या केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि एक ‘गंभीर मुद्दा है।’
आजाद ने कहा, “राजनीति पहले आती है, अर्थशास्त्र दूसरे स्थान पर और रोजगार उसके बाद। अगर हम बिजली, सड़क और पानी के बारे में प्रत्यक्ष रूप से बात करते हैं और राजनीति के बारे में नहीं, तो यह गलत होगा।”
आजाद ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने और कश्मीर में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की भी मांग की।
उनकी ही पार्टी के सदस्य और जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व राज्यपाल करण सिंह ने कहा कि सरकार और सदन को आत्मविश्लेषण करना चाहिए कि घाटी में ‘हजारों युवा विनाश के रास्ता पर क्यों चल पड़े हैं।’
अन्य दलों के सदस्यों ने भी एकसुर में उनका समर्थन किया और हैरानी जताई कि सरकार इस मुद्दे पर कोई राजनीतिक पहल क्यों नहीं कर रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, “हमें कश्मीर में हिंसा और वर्तमान रक्तपात रोकना होगा। कश्मीर के लोगों की समस्याएं खत्म करने के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरू की जाए।”
भाजपा से संबंद्ध मनोनीत सदस्य स्वप्न दास गुप्ता ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि राजनीतिक समाधान की जरूरत है, लेकिन यह समाधान बेहद ध्यान से सोच-विचार कर तैयार किया जाना चाहिए।
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव ने कहा कि राज्य के लोगों का विश्वास जीतने के लिए राजनीतिक पहल जरूरी है।
राज्य में सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोकेट्रिक पार्टी (पीडीपी) के सांसद नजीर अहमद लावे ने सवाल उठाया कि देश कश्मीर को तभी याद क्यों कर रहा है, जब वह ‘धधक रहा है।’
लावे ने कहा, “हम इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़ने में जितना ज्यादा समय लगाएंगे, यह उतना ही मुश्किल हो जाएगा। कश्मीरी बंदूकों के लिए नहीं हैं, वे इस देश के लिए हैं।”
लावे ने कहा, “वे हम पर भरोसा नहीं करते। वे कहते हैं कि प्रतिनिधिमंडल आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन हमारे लिए कभी कुछ नहीं किया गया।”
बहस के बीच विपक्ष और सत्तारूढ़ सांसदों ने घाटी में समस्या पैदा करने के लिए एकसुर में पाकिस्तान की निंदा की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता डी.पी. त्रिपाठी ने कहा कि सदन और देश “सीमा पार से कश्मीर में समस्या पैदा करने वालों के खिलाफ एकजुट हैं।”
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