श्रीनगर, 30 जुलाई| जम्मू एवं कश्मीर के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शनिवार को उस समय बाल-बाल बच गए, जब उनके काफिले पर पथराव किया गया। दुनिया भर में प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अलगाववादी नेताओं के पीछे पूरी ताकत झोंक दी है, जिसके कारण घाटी में लगातार अशांति बनी हुई है। लश्कर ने लोगों से अलगाववादियों के कार्यक्रम का अक्षरश: पालन करने को कहा है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि शिक्षा मंत्री नईम अख्तर के काफिले पर उत्तर कश्मीर के एक गांव में उस समय हमला किया गया, जब वह कानून-व्यवस्था की स्थिति और अस्पताल प्रबंधन का जायजा लेने के बाद लौट रहे थे।
प्रदर्शनकारियों ने अख्तर के काफिले पर पथराव किया। उन्होंने अलगाववादियों के बंद को सफल बनाने के लिए सड़क को पेड़ की शाखाओं और पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़ों से जाम कर रखा था।
सूत्रों ने कहा कि आपात पुलिस की टीम मंत्री को प्रदर्शनकारियों से बचाने घटनास्थल पर पहुंचा। घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।
कश्मीर घाटी में शनिवार को 22वें दिन तनावपूर्ण शांति रही। यह अलगाववादियों के बंद और कर्फ्यू का 22वां दिन था। इस दौरान घाटी भर में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कम से कम एक दर्जन नागरिक घायल हो गए।
श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू जारी है, लेकिन घाटी के अन्य इलाकों में ढील दी हुई है। आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद आठ जुलाई से ही घाटी में तनाव है। श्रीनगर में नारेबाजी करते हुए कुछ जगहों पर लोग सड़कों पर उतरे लेकिन पुलिस के साथ कोई हिंसक झड़प नहीं हुई।
दक्षिण कश्मीर के सर्वाधिक प्रभावित जिले पुलवामा और कुलगाम में शनिवार को कर्फ्यू जारी रहा।
घाटी में अलगाववादी नेताओं के बंद के आह्वान की वजह से लगातार 22वें दिन भी आम जनजीवन पंगु बना रहा। लोग सुबह जरूरी सामान खरीदने के लिए बाहर निकले, लेकिन विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों को देखते हुए फिर अपने घरों में घुस गए।
अलगाववादी नेताओं हुर्रियत के सैयद अली शाह गिलानी, मीर वाइज उमर फारूक और जम्मू एवं कश्मीर लिबरेश फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक का हवाला देते हुए जारी बयान में हड़ताल को सफल बनाने का आग्रह किया गया है और इनके संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व से जारी कार्यक्रमों का पालन करने को कहा गया है।
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के कश्मीर के मुख्य कमांडर की ओर से जारी बयान में दुख की घड़ी में चिकित्सकों ने जो भूमिका निभाई, उसकी सराहना की गई है।
इस बीच सेना ने दावा किया कि उसने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की एक कोशिश नाकाम कर दी है। नियंत्रण रेखा वह वास्तविक सीमा है, जो भारत और पाकिस्तान को अलग करती है।
एक रक्षा सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि नवगाम सेक्टर में दो आतंकी मारे गए हैं और दो सैनिक शहीद हुए हैं।
सेना की टुकड़ी ने दिन में घुसपैठ कर रहे आतंकियों को ललकारा तो आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी।
अधिकारी ने बताया, “पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर्मियों को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया है।”
अलगाववादियों द्वारा शुक्रवार के प्रदर्शन के मद्देनजर घाटी में व्यापक तौर पर कर्फ्यू लगा दिया गया था। घाटी में उग्र भीड़ द्वारा सुरक्षाबलों पर हमला करने से नागरिकों और सुरक्षाबलों सहित 100 से अधिक लोग घायल हुए।
बडगाम जिले के बीरवा क्षेत्र में एक शख्स की मौत हो गई।
पुलिस और सीआरपीएफ ने भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) के सोनवार स्थित कार्यालय की और बढ़ रही भीड़ पर आंसू गैस के गोले दागे।
वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को कोई खतरा नहीं है।
–आईएएनएस
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