श्रीनगर/नई दिल्ली, 18 जुलाई | हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की बीते सप्ताह सुरक्षा बलों के हाथों हुई मौत के बाद कश्मीर घाटी में भड़की हिंसा सोमवार को भी जारी रही।
केंद्र सरकार ने कश्मीर में मौजूदा हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने के साथ कश्मीर घाटी में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर अतिरिक्त बल का प्रयोग करने के आरोपों से भी इनकार किया।
इस बीच कश्मीर में लगातार 10वें दिन कर्फ्यू लगा हुआ है, अलगाववादियों ने बंद का अह्वान कर रखा है, प्रशासन ने मीडिया पर रोक लगा रखी है और इन सबके बीच कश्मीर घाटी में जन-जीवन थमा हुआ है।
पुलिस सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि दक्षिणी कश्मीर के काजीगुंड इलाके में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर हुई ताजा हिंसक झड़प में दो और लोगों की मौत हो गई, जबकि चार अन्य घायल हुए हैं।
उधर राष्ट्रीय राजधानी में मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे पर हुई संक्षिप्त चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने सरकार पर कश्मीर में ‘स्थिति न संभाल पाने’ का आरोप लगाया।
सरकार पर कश्मीर में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अतिरिक्त बल का प्रयोग करने के आरोपों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों से अधिकतम संयम बरतने और न्यूनतम बल का प्रयोग करने के लिए कहा गया है।
गृह मंत्री के अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कश्मीर में जारी हिंसा के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इस्लामाबाद कभी यह स्वीकार ही नहीं कर पाया कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अंग है।
गृह मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्होंने खुद सीआरपीएफ और बीएसफ प्रमुखों सहित सुरक्षा बलों के प्रमुखों को यथासंभव न्यूनतम बल का प्रयोग करने की हिदायत दी है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार की संवेदनाएं जनता के साथ हैं, लेकिन ‘यदि किसी सुरक्षाकर्मी की मौत का जश्न मनाया जाता है, तो क्या यह मानवता है?’
गृह मंत्री ने कहा, “हम आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे और आम नागरिकों के प्रति संवेदनशील बने रहेंगे।”
राजनाथ सिंह ने कश्मीर घाटी में मौजूदा हिंसा के लिए पूरी तरह पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “जो कुछ भी हो रहा है, वह पाकिस्तान की वजह से है। कहने को नाम पाकिस्तान है, लेकिन हरकतें नापाक।”
जेटली ने राजनाथ के स्वर में कहा, “पाकिस्तान ने इस तथ्य को कभी स्वीकार नहीं किया कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसलिए वह लगातार अशांति फैलाने का प्रयास करता है।”
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जमकर आलोचना की और जम्मू एवं कश्मीर में उन्हें ‘मिसफिट’ करार दिया।
इस पर जेटली ने कहा कि यह सोचना सही नहीं है कि जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार की वजह से वहां समस्याएं हैं और सभी समस्याओं का एकमात्र कारण पाकिस्तान है।
जेटली ने कहा, “भारत के साथ पारंपरिक लड़ाइयां लड़ने के बाद पाकिस्तान को महसूस हुआ कि इनके जरिए भारत को हराना असंभव है, इसलिए उसने आतंकवाद की रणनीति अपनाई है।”
हालांकि आजाद ने मौजूदा कश्मीर समस्या के लिए भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “कांग्रेस और अन्य सरकारों को कश्मीर में शांति स्थापित करने में 70 वर्ष लगे। हमारी नीति कश्मीर की जनता के घावों पर मरहम लगाने वाली थी, लेकिन केंद्र की मौजूदा सरकार कश्मीर में आतंकवादियों और आम नागरिकों के साथ एक जैसा बर्ताव कर रही है।”
आजाद ने कहा, “सरकार को जनता को अपने बच्चों की तरह देखना चाहिए..लेकिन घायलों से अटे पड़े अस्पतालों के हालात सब कुछ बयान कर रहे हैं। सभी कह रहे हैं कि कश्मीर हमारा है, लेकिन कोई यह नहीं कह रहा कश्मीरवासी भी हमारे ही हैं। कोई नहीं कह रहा कि हमें कश्मीरवासियों के साथ कश्मीर चाहिए।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने भी सरकार पर कश्मीर में अतिरिक्त बल प्रयोग करने का आरोप लगाया।
येचुरी ने कहा, “हमारी संवेदनाएं मृत युवकों के साथ हैं। मृतकों की संख्या से पता लगता है कि अतिरिक्त बल का प्रयोग किया गया। बड़ी संख्या में लोंगों की दृष्टि चली गई है। पेलेट गन का इस्तेमाल बिल्कुल गलत है। आप वहां और सैनिक भेज रहे हैं, जबकि वहां और चिकित्सकों की जरूरत है।”
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने भी सरकार पर स्थिति को न संभाल पाने का आरोप लगाया, जबकि जनता दल (युनाइटेड) के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने केंद्र सरकार से कश्मीर समस्या का राजनीतिक समाधान निकालने का अनुरोध किया।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “मैं लगातार जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री के संपर्क में हूं। हम दिन में कम से कम दो बार स्थिति पर चर्चा करते हैं। मैं सुरक्षा बल प्रमुखों के संपर्क में भी हूं।”
गृह मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सुरक्षा बल आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे, लेकिन राह भटक गए युवकों को मुख्यधारा में शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे, क्योंकि ‘वे अपने ही हैं’।
आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की सुरक्षा बलों के हाथों मौत के बाद से कश्मीर घाटी में हिंसक विरोध-प्रदर्शन भड़क उठे हैं।
वानी की मौत के बाद से अब तक हिंसक झड़पों में मरने वालों और घायलों का विवरण देते हुए गृह मंत्री ने बताया कि 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,948 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा एक सुरक्षाकर्मी की मौत हुई है और 1671 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं।
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