श्रीनगर, 12 अक्टूबर | श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित एक सरकारी इमारत में छिपे आतंकवादियों व सुरक्षाबलों के बीच तीन दिनों से जारी मुठभेड़ दो आतंकवादियों के मारे जाने के साथ ही बुधवार को खत्म हो गई। कश्मीर में आतंकवादियों व सुरक्षाबलों के बीच अब तक की सबसे लंबे समय तक चली मुठभेड़ में सोमवार को तीन जवान घायल हो गए। आतंकवादी पंपोर में जम्मू एवं कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान (जेकेईडीआई) की इमारत में घुस गए थे।
जेकेईडीआई के अधिकारियों ने कहा कि इमारत में आतंकवादियों के घुसने के बाद करीब 60 घंटों तक दोनों तरफ से गोलीबारी होती रही, जिसमें सात मंजिला हॉस्टल परिसर पूरी तरह नष्ट हो गया। इस हॉस्टल को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ दो साल पहले खोला गया था, जिसमें 200 लोगों के ठहरने की क्षमता थी।
सेना व पुलिस अधिकारियों ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि झेलम नदी के किनारे स्थित हॉस्टल परिसर में घुसे दोनों फिदायीन हमलावरों को मार गिराया गया। एक को मंगलवार को मार गिराया गया था, जबकि दूसरा बुधवार को मारा गया।
जनरल ऑफिसर कमांडिंग अशोक नरुला ने कहा कि आतंकवादियों के सफाये के लिए सोमवार सुबह शुरू हुए सैन्य अभियान को इस तरह से अंजाम दिया गया कि सेना को नुकसान न हो।
उन्होंने कहा, “हम अपनी तरफ कोई नुकसान नहीं चाहते थे। इसलिए इस अभियान में वक्त लगा। इमारत में 60 कमरे हैं। यही कारण है कि उन सभी कमरों की तलाशी में वक्त लगा।”
नरुला ने संवाददाताओं से कहा, “दोनों आतंकवादियों को मार गिराया गया और दो हथियार बरामद किए गए।”
तीन दिनों तक सुरक्षा बल इमारत पर रॉकेट, ग्रेनेड व स्वचालित हथियारों से हमला करते रहे, जिससे कारण इमारत के शीशे का बाहरी हिस्सा बर्बाद हो गया।
इमारत के कुछ हिस्सों में आग लगने के बाद आतंकवादी इमारत के अंदर अपनी जगह बदलते रहे और बेहद होशियारी से अपने हथियारों का इस्तेमाल करते रहे।
रात के अंधेरे में आतंकवादियों के बचकर भाग निकलने की कोशिशों को असफल करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने फ्लडलाइट का इस्तेमाल किया।
रोजगार की कमी से जूझ रहे जम्मू एवं कश्मीर में जम्मू एवं कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान (जेकेईडीआई) के हॉस्टल का निर्माण केंद्र सरकार के उद्यमिता विकास फंड से किया गया था, जो झेलम नदी के किनारे स्थित है।
आतंकवादी नदी की तरफ से सोमवार को जिस वक्त हॉस्टल में दाखिल हुए थे, उस वक्त वह बिल्कुल खाली था। कश्मीर घाटी में वर्तमान अशांति के मद्देनजर, संस्थान की अधिकांश गतिविधियों को जम्मू शिफ्ट कर दिया गया था।
जेकेईडीआई के अधिकारियों ने आईएएनएस से कहा कि जिस वक्त आतंकवादी हॉस्टल में दाखिल हुए उस वक्त इमारत में दो रसोइये सो रहे थे। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया है, वे वहां से निकल भागे।
इमारत परिसर में चौबीसों घंटे रहने वाले एक केयरटेकर ने कहा कि सोमवार सुबह उसने सबसे ऊपरी मंजिल से धुआं निकलते देखा, जिसके बाद उसने दमकल और पुलिस को बुलाया।
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि आतंकवादी किस तरह इमारत में घुसे और उसपर कैसे कब्जा किया। लेकिन राहत की बात यह है कि उस वक्त इमारत में कोई नहीं था।”
संस्थान की मुख्य इमारत पर फरवरी में भी हमला हुआ था। उस समय भी आतंकवादियों ने इमारत में घुसकर सुरक्षाबलों पर हमले शुरू कर दिए थे।
उस समय आतंकवादियों के हमले में छह लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें एक नागरिक, तीन जवान और दो अर्धसैनिक जवान शामिल थे। सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादियों को मार गिराया था।
संस्थान परिसर में तीन इमारतें हैं, जिसमें एक गेस्ट हाउस, एक हॉस्टल कॉम्प्लेक्स और मुख्य कार्यालय इमारत है। यह परिसर 3.5 एकड़ भूमि में फैला है।
जिस सड़क पर यह संस्थान स्थित है, वह न सिर्फ स्थानीय आपूर्ति के लिए जीवनरेखा है, बल्कि सेना सालों भर इस रास्ते का इस्तेमाल श्रीनगर स्थित 15 कोर मुख्यालय तक पहुंचने के लिए करती है।
इलाके के चारों ओर सरकारी फैक्ट्रियां तथा उच्च सुरक्षा वाले रेडियो कश्मीर के मीडियम व शॉर्टवेव रेडियो ट्रांसमीटर के परिसर हैं।–आईएएनएस
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