नई दिल्ली, 10 नवंबर | पूरे देश में बैंकों और डाकघरों पर गुरुवार को लोगों का मेला जैसा लग गया। मोदी सरकार द्वारा मंगलवार रात 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट बंद करने की घोषणा करने के बाद गुरुवार को दोबारा खुले बैंकों में इन नोटों को बदलवाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। प्रधानमंत्री की घोषणा के 36 घंटे के इंतजार के बाद लाखों बेचैन लोग गुरुवार सुबह नोटों को बदलने के लिए बैंकों और डाकघरों के खुलने के पहले ही इनके सामने कतार में लग गए। उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम, हर जगह से यही खबर मिली है।
घंटों की मशक्कत, धक्कामुक्की के बाद भी कई लोग निराश लौटे क्योंकि कई बैंकों में कुछ ही घंटों में नकदी खत्म हो गई।
कई जगहों पर लोग बैंक बंद होने के बाद भी इनके बाहर खड़े रहे। दरअसल बैंक कर्मी अंदर अपना काम कर रहे थे और बाहर खड़े लोगों को लग रहा था कि हो सकता है कि बैंक फिर से खुल जाए।
नोएडा के सेक्टर 18 में कारपोरेशन बैंक शाम 6 बजे बंद हो गया। उस वक्त भी वहां बड़ी संख्या में लोग थे और इनमें से अधिकांश नाराज थे।
यहां मौजूद एक गार्ड ने आईएएनएस को बताया बैंक में जितना पैसा था, वह सभी अपरान्ह 3.30 बजे तक बंट गया। लोगों से कहा गया कि वे अब जाएं लेकिन लोग फिर भी डटे रहे। गार्ड ने कहा, “लोग अभी भी नहीं जाना चाह रहे हैं। इनमें से कुछ ने मेरे साथ मारपीट की है।”
पास के कोटक महिंद्रा और केनरा बैंक पर भी यही दृश्य था। एक टेक कंपनी के एचआर में काम करने वाले राम कृष्णन ने चिल्लाकर कहा, “मेरे पास बीते कल से एक पैसा भी नहीं है। क्या कोई उन्हें समझा सकता है कि बीते दो दिनों से मैं किस मुसीबत से गुजर रहा हूं।”
लेकिन, कई बैंकों में देर शाम तक काम होता रहा। दिल्ली के मॉडल टाउन के एचडीएफसी बैंक के अधिकारी ने कहा कि बैंक ने परेशान ग्राहकों को देर शाम तक लाखों रुपये दिए लेकिन फिर भी सभी को नहीं दिया जा सका। अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताया।
दिल्ली, नोएडा और गुड़गांव में लोग सुबह 6 बजे से ही बैंकों के सामने कतार में लग गए। कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम भी करने पड़े।
अधिकांश बैंकों ने फॉर्म भरने और अन्य निर्देशों से संबंधित बातों के संबंध में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए एक या दो कर्मचारियों को गेट के बाहर तैनात कर रखा था। हालांकि, अधिकांश ग्राहक पैसे निकालने, बदलने व जमा करने संबंधी नियमों से परिचित दिखे।
कई जगहों पर लोग उस वक्त हताश हो गए जब बैंक ने बताया कि पैसा इतना नहीं है कि उनकी मांग को पूरा किया जा सके।
सरकार ने कह रखा है कि 4 हजार रुपये तक के नोट बदले जा सकते हैं, लेकिन बहुत अधिक मांग और नोट की कमी की वजह से कई बैंकों ने इस राशि का आधा ही लोगों को दिया ताकि सभी को पैसा मिल सके।
दिल्ली के लाजपतनगर में अनिल वाधवानी को आईसीआईसीआई बैंक में पांच घंटे तक लाइन में लगने के बाद इस तकलीफदेह अहसास से गुजरना पड़ा। उन्होंने कहा, “मैं 1000 की चार नोट लेकर आया था लेकिन इनमें से सिर्फ दो को ही बदला गया।”
अफरातफरी की खबरें हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़ समेत कई जगहों से मिली हैं।
मुंबई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, नासिक, कोल्हापुर में हजारों लोग बैंकों और डाकघरों के खुलने के पहले ही अपने पहचान पत्र और अन्य कागजात के साथ लाइन में लग गए।
कई लोगों ने पहले से ही विशेष निकासी पर्ची भर ली थी और पहचान के कागजात से जोड़ रखा था जबकि अन्य फोटो कॉपी कराने के लिए व्याकुल होकर भागते दिखे। फोटो कापी कराने की दुकान पर उन्हें और लंबी लाइन का सामना करना पड़ा।
निजी और सरकारी क्षेत्र के अधिकांश बैंकों में ग्राहक ठसाठस भरे दिखे। कुछ स्थानों पर एयर कंडीशनर लोड नहीं सह सके। इस वजह से उन्हें या तो बंद कर दिया गया है या वे खराब हो गए हैं।
कई बैंकों ने एक समय में पांच-पांच या दस-दस के समूह में लोगों को ही अंदर आने दिया।
ऐसी ही भीड़ एटीएम पर भी देखी जा रही है।
वे लोग जो किसी तरह 500 और 2000 रुपये के नए नोट निकालने में सफल रहे, उनका हाल ऐसा था जैसे कि उन्होंने कोई जंग जीती हो। वे नए नोटों के साथ गर्व से सेल्फी लेते दिखे जिन्हें विभिन्न सोशल मीडिया पर डाला गया।
असली समस्या बाहर आ रही है क्योंकि बाजार में 100 रुपये और 50 रुपये के नोटों के बेहद कम होने से उन्हें 500 व 2000 के नए नोट भुनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
सभी बैंकों को चार दिनों गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार तक नोट बदलने आने वाले ग्राहकों का विशेष ख्याल रखने का निर्देश दिया गया है। यदि जरूरत पड़ी तो अगले रविवार 20 नवंबर को भी बैंक खुले रहेंगे।
चंडीगढ़ में स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया,”आज (गुरुवार) से सभी एसबीआई शाखा में दो घंटे तक अतिरिक्त काम होगा और यह सप्ताहांत में भी खुले रहेंगे, ताकि लोगों को 500 और 1000 रुपये के नोट बदलने में आसानी हो।”
आईसीआईसीआई बैंक ने 10 और 11 नवंबर को दो दिन तक देशभर में अपनी शाखाओं में दो घंटे अधिक काम करने की घोषणा की है।
बिहार में राजधानी पटना और अन्य शहरों में भी बैंकों और डाकघरों में लोगों की भीड़ उमड़ी। पटना में बैंकों में कतार में खड़ी महिलाओं ने कहा कि उनके लिए अलग से विशेष व्यवस्था नहीं होने से परेशानी हो रही है।
मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल व अन्य शहरों में भी ऐसा ही दृश्य रहा। भोपाल के एमपी नगर स्थित बैंक स्ट्रीट का गुरुवार को नजारा ही अलग दिखा। यहां कई बैंकों के कार्यालय हैं, जिसके चलते बड़ी संख्या में ग्राहक यहां पहुंचे।
लखनऊ से खबर है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद होने के कारण विदेशी पर्यटकों को पेश आ रही कठिनाइयों को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव राहुल भटनागर को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि आगरा एवं वाराणसी में विदेशी पर्यटकों के लिए बैंकों में अलग से काउंटर स्थापित कराए जाएं, ताकि विदेशी पर्यटक अपने पुराने नोटों को आसानी से बदल सकें।
उप्र : नोटबंदी की खबर से युवक की मौत!
कानपुर (उप्र), 10 नवंबर । जनपद के पनकी इलाके में बड़े नोट बंद किए जाने की बात सुनते ही दिल का दौरा पड़ने से एक युवक की मौत हो गई। नोटबंदी की घोषणा जिस शाम हुई, युवक ने उसी दिन दोपहर में ढाई करोड़ रुपये की जमीन बेचने की डील की थी, जिसके लिए एडवांस में उसने 500 और 1000 रुपये के नोट लिए थे।
परिजनों को के मुताबिक, टीवी पर प्रधानमंत्री के मुंह से बड़े नोट बंद किए जाने की बात सुनते ही उसके दिल में दर्द शुरू हुआ और वह जमीन पर गिर गया। परिवार के लोग उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जानकारी मिली है कि पनकी निवासी एक युवक की रनिया में कई बीघा जमीन थी। इसे बेचने के लिए कई महीनों से युवक ग्राहक की तलाश में था। करीब एक हफ्ते पहले जमीन का सौदा एक ग्राहक से हो गया था। बयाने के तौर पर ग्राहक ने युवक को मंगलवार को करीब 70 लाख रुपये दिए थे। उधर, शाम में उसने सुना कि सरकार ने 500 व 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए हैं।
परिजनों ने बताया कि बुधवार तड़के युवक की मौत हो गई। डॉक्टर ने बताया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है।
अस्पताल में नहीं चला हजार का नोट, नवजात की मौत
बुलंदशहर (उप्र), 10 नवंबर । केंद्र सरकार के फैसले पर 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाने आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। यहां के एक निजी अस्पताल में 1000 रुपये का नोट नहीं लिया गया। प्रसूता के प्रसव में देरी होने के चलते नवजात की मौत हो गई।
खुर्जा के रहने वाले अभिषेक ने बताया कि वह अपनी पत्नी एकता की डिलीवरी के लिए कैलाश अस्पताल गया था।अस्पताल वालों ने उससे 10,000 रुपये जमा कराने के लिए कहा।जब वह पैसे लेकर काउंटर पर पहुंचा तो अस्पताल वालों ने 1000 रुपये का पुराना नोट देखकर पैसे लेने से मनाकर दिया। अभिषेक के मुताबिक, उसने अस्पताल वालों से मिन्नतें कीं, लेकिन अस्पताल वालों ने एक नहीं सुनी। दूसरा बंदोबस्त करने में उसे देरी हुई। तब तक उसकी पत्नी दर्द से कराहती रही।डिलीवरी में देरी की वजह से उसकी नवजात बच्ची की मौत होगई। अस्पताल प्रबंधन ने अभिषेक के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि बच्ची गर्भ में पहले से मृतथी।साथही कहा कि निजी अस्पतालों को 1000रुपये के पुराने नोट लेने का निर्देश नहीं दिया गया है। –
भोपाल के अलावा, जबलपुर, इंदौर आदि स्थानों से लेकर छोटे शहरों तक में नोट बदलवाने के लिए जमा हुई भीड़ और भुगतान में देरी के चलते कई स्थानों पर अफरातफरी और विवाद की स्थिति बन गई।
बैंकों में पुराने नोट बदलवाने, रकम निकालने और जमा करने पहुंचे बड़ी संख्या में लोगों की सुरक्षा और भीड़ के चलते संभावित किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए पुलिस बल की भी तैनाती की गई ।
राज्य के अन्य हिस्सों- इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन से लेकर गांव कस्बों तक जहां बैंक और डाकघर है वहां ग्राहकों की कतारें देखी गई। हर कोई पुराने नोट बदलकर नए नोट लेने पहुंचा, ताकि उसे बुधवार जैसी परेशानी का सामना न करना पड़े। बुधवार को लोगों को पुराने नोट के अमान्य होने और छोटे नोट की अनुपलब्धता के चलते बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा था।–आईएएनएस
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