रायपुर, 22 मार्च । छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों से बीएएमएस डॉक्टरों पर हो रही कार्रवाई पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कानूनी वैध चिकित्सालयों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि उनमें मरीजों को नियमित रूप से निरंतर इलाज की सुविधा मिल रही है। जनता में कोई असंतोष नहीं है।
अजय चंद्राकर ने विधानसभा में एक स्थगन प्रस्ताव के जवाब में जानकारी देते हुए बताया, “पैरामेडिकल सर्टिफिकेट कोर्स के तहत पैरामेडिकल कार्य करने वालों को स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस (निजी व्यवसाय) करने का अधिकार नहीं है। यह कहना सही नहीं है कि कार्रवाई का दबाव बनाकर पैरामेडिकल कार्यकर्ताओं से अवैध वसूली की जा रही है।”
अजय चंद्राकर ने बताया, “नियम विरुद्ध चलने वाले अस्पतालों और क्लिनिकों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई उचित है। राज्य में छत्तीसगढ़ उपचर्या गृह रोगोपचार संबंधी संस्थापनाएं अधिनियम 2010 (नर्सिग होम एक्ट) और इसके अंतर्गत नियम 2013 लागू है। इसके प्रावधानों के विपरीत अगर कोई संस्था चल रही है तो उसके खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए राज्य शासन द्वारा सभी जिलों में जिला और विकासखंड स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों द्वारा अवैध क्लीनिकों, पैथोलॉजी लैब और नर्सिग होम जैसी संस्थाओं, झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।”
उन्होंने इस आरोप को भी गलत बताया कि कार्रवाई के फलस्वरूप स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है या मरीजों को परेशानी हो रही है।
अजय चंद्राकर ने कहा, “राज्य में एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्धा, योग ये सभी पंजीकृत चिकित्सा की श्रेणी में आते हैं। इसलिए इन चिकित्सा पद्धतियों की संस्थाएं छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्या गृह रोगोपचार संबंधी संस्थापनाएं अधिनियम 2010 अथवा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत वैध रूप से संचालित हैं। अत: इनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जा रही है।”
स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ उपचर्या गृह रोगोपचार संबंधी संस्थापनाएं नियम 2013 के तहत बायोमेडिकल कचरे का प्रबंधन अनिवार्य है। इसलिए जांच करने वाली टीमों द्वारा पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए भी बायोमेडिकल कचरे से संबंधित बिंदुओं पर भी जांच की जा रही है। –आईएएनएस/वीएनएस
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