नई दिल्ली, 23 अगस्त| हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल का कहना है कि अगर युवा कलाकारों का बीमा हो जाए, तो वे संगीत को एक स्थाई पेशे के तौर पर अपनाने में दिलचस्पी ले सकते हैं।
शुभा ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा, “बहुत सारे युवा संगीत के प्रति समर्पित हैं। मुद्दा यह है कि संगीत को कैसे इनके लिए पूर्णकालिक पेशा बनाया जाए।”
उन्होंने कहा, “एक समाज के रूप में हमें इन युवा संगीतकारों के साथ होना चाहिए और यह जानना चाहिए कि उन्हें क्या खुश रख सकता है। केवल प्रशंसा नहीं, बल्कि कलाकार को अन्य तरीकों से भी बताया जाना चाहिए कि उसकी कीमत है। मिसाल के लिए, कहीं यह प्रयास दिखता भी है कि कलाकारों को मेडिकल इंश्योरेंस मुहैया कराया जाना चाहिए?”
जानी-मानी गायिका ने कहा, “अन्य संगठनों में काम करने वालों का मेडिकल बीमा होता है। लेकिन, भारत में बहुत बड़ी संख्या में संगीतकार इससे वंचित हैं। इसी तरह जब हम मंच पर होते हैं, तो उस वक्त क्या हमारे लिए कोई जामिन होता है? मुझे लगता है कि हमें इन मुद्दों पर सोचना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि सितार और सारंगी जैसे भारतीय वाद्ययंत्र हमें मंत्रमुग्ध कर देते हैं, लेकिन इन भारतीय वाद्ययंत्रों को इनकी वाजिब पहचान देने के मामले में बीमा कंपनियां पूरी तरह से उदासीन बनी हुई हैं।
शुभा मुद्गल ने कहा, “हमारे यहां भारतीय वाद्ययंत्रों के बीमे का कोई तंत्र नहीं है। अगर मैं अपने कीबोर्ड का बीमा कराना चाहूं तो यह हो जाएगा। लेकिन, अगर मैं अपने तानपुरे का बीमा कराना चाहूं तो यह नहीं हो सकेगा। मैं इस बारे में कुछ नहीं कर सकती क्योंकि मेरा संबंध बीमा क्षेत्र से नहीं है। वहां कोई हमारी आवाज नहीं है।”
उन्होंने पूछा, “हम कैसे सुनिश्चित करें कि सितार, तबला, सारंगी और अन्य ध्वनि संबंधी वाद्ययंत्रों को उनकी वाजिब पहचान मिलेगी? जो कारीगर इन्हें बनाते हैं, उनकी अच्छे से देखभाल होगी?”
शुभा मुद्गल ने कहा कि बीते 100 वर्षो में संगीत समारोहों की संख्या बढ़ी है, लेकिन इससे युवा कलाकारों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कला के प्रति समर्पित युवा कलाकारों के लिए संगीत को एक स्थाई पेशा बनाने का तरीका ढूंढ़ना होगा।-मुदिता गिरोत्रा
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