वाशिगटन, 16 अप्रैल | वित्त मंत्री अरुण जेटली का मानना है कि दिवालिया कंपनी एयरलाइन किंगफिशर में हुई गड़बड़ी प्रबंधन की असफलता है, न कि विमानन उद्योग की असफलता है। उन्होंने कहा कि बैंकों का कर्ज वसूलने के लिए हर कदम उठाए जाएंगे।
जेटली ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “किंगफिशर एयरलाइन की समस्या किसी उद्योग विशेष की समस्या नहीं है। इसका आसान सा कारण यह है कि दूसरी एयरलाइन कंपनियां उसी दौर में मुनाफा कमा रही थी। जेट ने मुनाफा कमाया, इंडिगो ने काफी मुनाफा कमाया और स्पाइसजेट, गो एयर आदि सभी कंपनियों ने मुनाफा कमाया।”
जेटली ने कहा, “मैं कोई आखिरी राय नहीं दे रहा हूं। लेकिन यह किसी एक कंपनी के बिजनेस मॉडल से जुड़ा मामला है।”
माल्या का राजनयिक पासपोर्ट चार हफ्तों के लिए निलंबित कर दिया गया है और प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत से माल्या के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी करने की गुजारिश की है।
वित्त मंत्री यहां रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन, आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम के साथ विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की बैठक में शामिल होने आए हैं।
जेटली ने कहा कि माल्या मामले में सरकार के पास करने को कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझता कि इसमें हमारे लिए करने को कुछ है। जब वह भारत में थे तो उनसे जुड़े कई मामले अदालतों में चल रहे थे। मैं समझ सकता हूं कि बैंकिंग क्षेत्र द्वारा अपने कर्ज की वसूली के लिए उठाए गए हर कदम को अदालत में चुनौती दी गई। जहां तक वसूली का सवाल है तो बैंक हर संभव कदम उठा रहे हैं। और जहां तक कानून तोड़ने का सवाल है तो जांच एजेंसियां इस मामले को देख रही हैं।”
प्रवर्तन निदेशालय माल्या को 9,000 करोड़ रुपये बैंकों से कर्ज लेकर हेराफेरी के आरोप में तलाश रही है। माल्या ने 2 मार्च को भारत छोड़ दिया था और ट्वीट किया कि वे भगोड़े नहीं हैं।
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा, “प्रवर्तन निदेशालय की सलाह पर विदेश मंत्रालय ने विजय माल्या का राजनयिक पासपोर्ट तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है।”(आईएएनएस)
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