किगाली : ‘भारत न्यायपूर्ण समझौता चाहता था, और हुआ’

किगाली (रवांडा), 16 अक्टूबर | भारत यह जानता है कि यह उपमहाद्वीप जलवायु परिवर्तन को लेकर अतिसंवेदनशील है, लेकिन यह भी चाहता था कि वैश्विक तापमान को सबसे खराब स्थिति में ले जाने वाली गैसों को हटाने के लिए एक ऐसा समझौता हो, जो भारत के विकास के लिए भी काम आए। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख एरिक सोलहेम ने रवांडा की राजधानी में आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में यह बात कही।

वह मानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दुनिया के अन्य नेताओं से मिलना शनिवार को हुए इस ऐतिहासिक करार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। इस करार के मुताबिक गर्मी को सोखने वाली कार्बनिक यौगिक एचएफसीज यानी हाइड्रोफ्लूरोकार्बंस का इस्तेमाल बंद कर इनके बदले पर्यावरण अनुकूल विकल्पों का उपयोग किया जाएगा।

सोलहेम ने रवांडा की राजधानी में ‘मांट्रियल प्रोटाकॉल ऑन सब्स्टेंसेज दैट डिप्लीट द ओजोन लेयर’ में संशोधन की पुष्टि होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, “मैं बहुत खुश हूं। यह धरती मां के लिए जीत जैसा है। इस कदम से इस ग्लोबल वार्मिग को बढ़ने से 0.5 डिग्री सेल्सियस तक रोका जा सकता है। इसका मतलब है कि हमारे सुंदर ग्रह पर कम सूखा पड़ेगा, कम तूफान आएगा और कम तबाही होगी।”

हाइड्रोफ्लूरोकार्बंस का इस्तेमाल पूरी दुनिया में चीजों को ठंडा रखने यानी रेफ्रिजरेशन और शीत-ताप नियंत्रण (एयरकंडिशनिंग) के लिए किया जाता है।

यह वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन में वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस बढ़ने से कम रखने के लक्ष्य में सबसे बड़ा योगदान देगा।

197 मांट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों के बीच सात साल तक समझौता वार्ता के बाद यह समझौता हुआ है।

इस करार के मुताबिक, विकसित देश वर्ष 2019 तक एचएफसी में कटौती करेंगे। वहीं भारत, पाकिस्तान, ईरान और इराक का आधार वर्ष 2024-2026 है और पूरी तरह से बंद करने की समय सीमा 2028 है। आधार वर्ष वह स्तर होगा, जिसके आधार पर एचएफसी का अधिकतम उपयोग सीमा तय होगी।

एचएफसी गैसें धरती को नुकसानदेह किरणों से रक्षा करने के लिए वायुमंडल में छतरी के रूप में काम करने वाली ओजोन परत को बर्बाद करने का काम करती हैं।

सोलहेम ने कहा कि वह शांति और अहिंसा के प्रचारक महात्मा गांधी के जीवन और विचारों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि भारत को वर्ष 2030 की जगह 2028 में इसे रोकने के लिए राजी करने में अमेरिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा, “मैं राष्ट्रपति ओबामा और विदेशमंत्री केरी ने जो नेतृत्व प्रदान किया है, उसके लिए शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।”

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख ने कहा कि चीन ने भी इस प्रक्रिया में बहुत रचनात्मक भूमिका निभाई है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा एचएफसी उत्पादक है।

चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेटीना और सौ से अधिक विकाशील देश 2024 तक एचएफसी का उत्पादन पूरी तरह से बंद कर देंगे।–विशाल गुलाटी