संवाद

किरण मजूमदार शाॅ ने बच्चों से कहा सफलता के लिए खुद पर भरोसा रखाे

नई दिल्ली, 07 अक्टूबर।   देश की प्रसिद्ध महिला उद्यमी सुश्री किरण मजूमदार शाॅ  ने स्कूल के बच्चों से संवाद में कहा कि सफलता के लिए खुद पर भरोसा रखाे और हर चुनौती का मुकाबला करो।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट कुरिकुलम के तहत चर्चित उद्यमी किरण मजूमदार शाॅ ने बच्चों से संवाद के दौरान अपने संघर्षों का विस्तार से उल्लेख किया।

श्रीमती मजूमदार बायोकाॅन लिमिटेड की कार्यकारी चेयरपर्सन हैं तथा मेडिकल उद्योग में चर्चित उद्यमी हैं।

उन्होंने बताया कि बंगलौर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक करने के बाद आस्ट्रेलिया में पढ़ाई की। वहां से लौटने के बाद भारत में 1978 में अपने गैरेज से अपनी कंपनी शुरू की। उनके पास पूंजी नहीं थी। लेकिन बैंकों ने कर्ज देने से मना कर दिया। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अंत में एक बैंक ने उनके प्रोजेक्ट का महत्व समझा और लोन दे दिया।

सुश्री मजूमदार ने कहा कि इस उदाहरण से पता चलता है कि आपको कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अगर आपको अपने उपर भरोसा हो और आप अपनी बात ठीक से रख सकते हो तो कोई न कोई आपकी बात अवश्य सुनेगा।

उन्होंने कहा कि किसी उद्देश्य के साथ बिजनेस शुरू करोगे, तो सफलता अवश्य मिलेगी।

इस दौरान सुश्री मजूमदार ने बच्चों के सवालों का उत्तर भी दिया।

किरण मजूमदार शाॅ  ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ संवाद का यह अवसर अविस्मरणीय है। इसके लिए उन्होंने एससीईआरटी, दिल्ली तथा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के प्रति आभार प्रकट किया।

किरण मजूमदार शाॅ ने  बच्चों  को पांच सूत्र बताए :

1. खुद पर भरोसा रखो – मैंने मात्र 25 साल की उम्र में जब व्यवसाय प्रारंभ किया, तो पूंजी भी नहीं थी और अनुभव भी नहीं था। कर्ज लेने के लिए कुछ जमानत सुरक्षा भी नहीं थी। लेकिन मैंने खुद पर भरोसा रखा और हर चुनौती का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ती गई।

2. महिलाओं को आगे बढ़ाने की संस्कृति विकसित करें – मेरा व्यवसाय बायो टेक्नाॅलाॅजी के क्षेत्र में रिसर्च पर आधारित है। इस क्षेत्र में महिला वैज्ञानिकों को आगे बढ़ाने का काफी अवसर है। आज हमारी टीम में महिला वैज्ञानिकों की संख्या लगभग तीस प्रतिशत है।

3. विज्ञान और चिकित्सा के जरिए दुनिया का भला संभव – मेरा मानना है कि बायो टेक्नाॅलोजी के क्षेत्र में नए प्रयोगों से आर्थिक विकास होने के साथ ही इससे लाखों मरीजों की जिंदगी भी बेहतर होती है।

4. असफलता क्षणिक चीज है – उत्सुकता से नवाचार पैदा होता है। हमरदम नई चीजों के बारे में सोचें और कभी इस बात से डरना नहीं चाहिए कि पहले कभी किसी ने ऐसा नहीं किया। अपनी असफलता से सीखें। नई चीजों को ज्ञान में बदल दें ताकि सबको इसका लाभ मिले।

5. अपने भीतर की आवाज सुनें – बचपन से ही अपने भीतर खुद को समझने की क्षमता पैदा करो। एक बेहतर मनुष्य बनने का अवसर कभी मत गंवाओ। इससे तुम एक स्वतंत्र और व्यापक मनुष्य के रूप में विकसित हो सकोगे, बड़े सपने देख सकोगे और दुनिया के लिए कोई यादगार काम कर सकोगे।