ममता अग्रवाल===
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर | राज्यसभा की सदस्य रूपा गांगुली ने कहा, ” अपने बंगाल के लिए, जहां मैं पली-बढ़ी, उसके लिए कुछ करने के लिए ही मैंने राजनीति में आने का फैसला किया।”
रूपा गांगुली को ‘महाभारत’ धारावाहिक में द्रौपदी के किरदार ने लोकप्रिय बना दिया, और अब वह लोक से सीधे जुड़ने राजनीति में हैं। भाजपा ने उन्हें पिछले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था और अब पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया है।
नवजोत सिंह सिद्धू के भाजपा और राज्यसभा की सदस्यता, दोनों से इस्तीफा देने बाद रिक्त हुई सीट रूपा की झोली में आ गई है। रूपा इसे एक बड़ी जिम्मेदारी मानती हैं।
रूपा ने विशेष बातचीत में कहा, “इसे चाहे तो कोई एक सम्मान के रूप में ले सकता है, लेकिन मैं इसे एक बड़ी जिम्मेदारी की तरह देखती हूं, जो मुझे दी गई है और मुझ पर भरोसा किया गया है। मैं इसे पूरे दिल से निभाऊंगी।”
रूपा ने अभिनय में 25 साल गुजारे हैं, लेकिन राजनीति में वह नई हैं। मगर उनके इरादे दृढ़ हैं कि समाज के लिए कुछ करना है।
चकाचौंध की दुनिया से राजनीति में, वह भी काफी देर से आने का मकसद? रूपा कहती हैं, “मैं एक स्पष्ट वक्ता हूं और अपनी बात को बिना किसी लाग-लपेट के कहना पसंद करती हूं। मुझे लगता था कि मैं राजनीति के लिए नहीं बनीं हूं और राजनीति से मेरा या मेरे परिवार का कोई नाता नहीं रहा, लेकिन मैंने महसूस किया कि पश्चिम बंगाल की दशा बेहद दयनीय हो चुकी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने जहां गुंडागर्दी और लूट-खसोट की राजनीति की, वहीं ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल को और नीचे गिरा दिया है। इसलिए अपने लोगों के लिए, अपने बंगाल के लिए, जहां मैं पली-बढ़ी, उसके लिए कुछ करने के लिए ही मैंने राजनीति में आने का फैसला किया।”
रूपा संसद में रेखा और केरल के अभिनेता सुरेश गोपी जैसे कलाकारों के साथ होंगी।
महाभारत के ही कई अन्य कलाकारों के अलावा अभिनय से राजनीति में कई चेहरे आ चुके हैं। लेकिन उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं किया। ऐसे में रूपा से क्या उम्मीद की जा सकती हैं? उन्होंने कहा, “मैं शुरू से ही सामाजिक कार्यो से जुड़ी रही, भले ही वह किसी बच्चे की पढ़ाई हो, या किसी बुजुर्ग की सेवा। इन 25 वर्षों में मैंने जो भी कमाया, यथासंभव लोगों की भलाई में लगाया। मैं पर्दे के पीछे रहकर काम करती रही हूं, लेकिन यह भी सच है कि अगर आप समाज के लिए कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो उसके लिए आपके पास कोई जिम्मेदारी वाला पद होना जरूरी है। अब मेरे पास एक मंच है, जहां मैं मुद्दों को उठा सकती हूं।”
रूपा को माकपा के कुछ बड़े नेताओं का करीबी माना जाता था, लेकिन पिछले साल जब वह अचानक भाजपा में शामिल हुईं तो यह सभी के लिए चौंकाने वाला रहा।
भाजपा ने रूपा को हावड़ा निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व क्रिकेटर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार लक्ष्मी रतन शुक्ला के मुकाबले मैदान में उतारा था।
हालांकि वाम मोर्चा के पूर्व गढ़ में भाजपा की स्थिति कभी मजबूत नहीं रही, इसलिए रूपा के इस सीट पर जीतने की संभावना न के बराबर थी। फिर भी रूपा ने इस सीट से मुकाबले की चुनौती स्वीकार की। हालांकि वह जीत हासिल नहीं कर पाईं। उन्हें 23.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे, जो हावड़ा में भाजपा के लिए बड़ी कामयाबी थी।
लेकिन सवाल यह उठता है कि पहले कम्युनिस्टों गढ़ रहे और अब तृणमूल का गढ़ बन चुके पश्चिम बंगाल में उन्होंने भाजपा को क्यों चुना? रूपा ने कहा, “मैं भाजपा की विचारधारा से पूर्ण सहमत हूं। भाजपा केवल अच्छा काम करने में विश्वास रखती है। बंगाल में स्थिति यह हो चुकी है कि आपको कुछ भी काम कराना हो तो उसके लिए पैसा देना पड़ेगा या किसी मामा को ढूढ़ना होगा। भाजपा इसे बदलना चाहती है।”
भाजपा महिला मोर्चा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष के रूप में रूपा के तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख को देखते हुए भाजपा उन्हें आने वाले समय में ममता बनर्जी के मुकाबले एक मजबूत विकल्प के रूप में देख रही है और राज्यसभा में उन्हें मनोनीत करने का मकसद राज्य में पार्टी की स्थिति मजबूत करना ही है।
रूपा बंगाल में भाजपा का कैसा भविष्य देखती हैं? वह कहती हैं, “मैं लोगों के साथ व्यक्तिगत तौर पर जुड़ी हूं और मैंने गलियों में घूमकर लोगों के विचार जाने हैं। लोग मानते हैं कि भाजपा जमीनी तौर पर काम कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में हमें सीटें भले नहीं मिलीं, लेकिन 2011 के चुनाव के मुकाबले हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है।”
रूपा को अप्रैल में बंगाल चुनाव के दौरान कैमरे पर हावड़ा उत्तर में तृणमूल कांग्रेस की एक महिला समर्थक को थप्पड़ जड़ते देखा गया था। इसके बाद कोलकाता में उन पर और उनके समर्थकों पर कथित तौर पर तृणमूल समर्थकों ने हमला कर दिया था और उनके सिर पर चोट आई थी।
धारावाहिक महाभारत के अलावा रूपा ‘बहार आने तक’ और ‘सौंगध’ जैसी कई हिंदी और बंगाली फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। पर्दे पर आखिरी बार वह रणबीर कपूर की ‘बर्फी’ में दिखाई दी थीं।
राजनीति में आईं अभिनेत्रियों को अकसर फिल्मी जीवन और किरदारों को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। रूपा को भी पश्चिम बंगाल चुनाव अभियान के दौरान तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुर रजाक मुल्ला की असभ्य टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था। चुनाव आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी।
इस प्रकार की आलोचनाओं के बारे में रूपा क्या सोचती हैं? “आप कुछ भी काम करें, आलोचनाएं तो होंगी ही। ऐसी बातों की परवाह करके कोई अच्छा काम नहीं किया जा सकता। मैं इन सब चीजों की परवाह नहीं करती, बस अपना काम करती हूं।”
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