नई दिल्ली, 15 अगस्त | प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर ने कहा कि वह अपने करियर के अंतिम दौर में हैं। उन्हें अब कहीं नहीं जाना है। इसलिए उन्हें जो सही लगता है, बोल देते हैं। उन्होंने कहा, “कृपया सोचिए कि लोगों तक न्याय कैसे पहुंचे।”
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “देश के नागरिकों को न्याय दिलाने के बारे में सोचें।”
देश में न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी के खिलाफ न्यायपालिका के कड़े रुख के बीच प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर ने सोमवार को सरकार से आग्रह किया कि वह न्यायपालिका पर भी ध्यान दे और इसकी समस्याओं को हल करे।
फाइल फोटो प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लालकिले की प्राचीर से दिए गए स्वतंत्रता दिवस भाषण में देश की न्यायिक व्यवस्था के बारे में कोई जिक्र नहीं होने पर प्रधान न्यायाधीश ने सवाल उठाया।
अदालतों में लंबित मामलों की भरमार का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में मामले में फैसला आने में दस साल लग जाते थे, लेकिन अब तो यह इतने समय में भी नहीं हो रहा है।
समारोह में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अजित सिन्हा ने मंत्री से आग्रह किया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति से पहले बार एसोसिएशन से सलाह लें। सचिव गौरव भाटिया ने कहा कि न्यायिक नियुक्तियां समय पर होनी चाहिए।
समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मेमोरेंडम आफ प्रोसीजर (एमओपी) हो या न हो, न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने साल के शुरू में ही साफ कर दिया था कि एमओपी की गैरमौजूदगी उच्च अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की राह की बाधा नहीं बनने दी जाएगी।
शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश ने सरकार से आग्रह किया था कि वह सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के हिसाब से न्यायाधीशों की नियुक्ति करें।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सच्ची आजादी तभी मिलेगी, जब गरीबी और शोषण से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि 1947 में 10 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे थे। आज 40 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से नीचे हैं।
गांव में 26 और शहर में 32 रुपये प्रतिदिन की कमाई को गरीबी रेखा का पैमाना बनाने पर सवाल उठाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अगर हम स्थिति का वास्तविक आकलन करें तो पाएंगे कि देश की आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।
उन्होंने कहा कि महज दो वक्त का खाना मिलने से किसी की गरीबी या गरीबी रेखा का आकलन नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी का आलम यह है कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में 14 चपरासी पोस्ट ग्रेजुएट हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद आज हम परमाणु शक्ति हैं, क्षेत्रीय शक्ति बनने जा रहे हैं, हमारी तरफ कोई आंख उठा कर नहीं देख सकता। लेकिन, हमें आत्ममंथन करना होगा कि इन सालों में हमने क्या पाया है और क्या खोया है?
–आईएएनएस
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