केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषि कानूनों का विरोध करने वालों को करारा जवाब देते हुए पूछा कि वे यह बताएँ कि कृषि बिलों में क्या काला है।
कृषि मंत्री ने साफ साफ कहा कि किसान यूनियनों के साथ कई बार की वार्ता के बावजूद कोई भी यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि बिलों में क्या सुधार किया जाए।
राज्यसभा ने आज 5 फरवरी, 2021 को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर आगे चर्चा शुरू हुई।
चर्चा में भाग लेते हुए तोमर ने कहा कि किसान यूनियनों के साथ कई बार की वार्ता के बावजूद किसी भी यूनियन ने ऐसा कोई प्रावधान नहीं बताया जो उन्हें लगता है कि विवादास्पद है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज राज्यसभा में किसान आंदोलन के संबंध में कहा यह एक ज्वलंत मुद्दा है और प्रतिपक्ष के सभी नेताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि सब ने किसान आंदोलन पर चिंता व्यक्त की है।
तोमर ने तीनों कृषि कानूनों की आलोचना करते हुए इसे काला कानून बताने वालों से पूछा कि कानून में काला क्या है, वह मुझे बताओ तो मैं ठीक करने की कोशिश करूँ।
विपक्ष की टोका टोकी के बीच कृषि मंत्री ने कहा कि पंजाब के एक्ट में किसानों को जेल भेजने का प्रावधान है लेकिन भारत सरकार के कानून में में ऐसी कोई बात नहीं है।
उन्होंने विपक्ष के दो नेताओं का नाम लेकर कहा कि किसान यूनियन से भी 2 महीने तक यही पूछता रहा कि कानून में काला क्या है?
कृषि मंत्री ने कहा कि लोगों को भड़काया जा रहा है कि कृषि कानूनों से किसान की जमीन चली जाएगी। किसानों को इस बात के लिए बरगला गया के कानून आप की जमीन ले जाएंगे लेकिन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है ।
कृषिमंत्री ने कहा कि कृषि कानून किसानों को एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज बेचने की अनुमति देते हैं।
उन्होंने कहा कि खुले बाजार में किसानों को मंडियों के करों का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।
कृषि कानूनों में अनुबंध कृषि के बारे में विपक्षी सदस्यों के कई प्रश्नों के जवाब में कृषिमंत्री ने जोर देकर कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए नए कानूनों के प्रावधान किसानों को अनुबंध से बाहर जाने की अनुमति देते हैं।
तोमर ने कहा कि सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है और नए कृषि कानून उसी को प्राप्त करने के लिए बनाये गए हैं।
तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा ग्राम पंचायतों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की वकालत की है।
कृषि मंत्री ने कहा कि देश में ग्राम पंचायतों के माध्यम से लगभग 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे ताकि उन्हें आर्थिक रूप से व्यवहारिक और विकासोन्मुखी बनाया जा सके।
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