पंजाब के मुख्यमंत्री के बयान पर गौर करें: मुख्यमंत्री द्वारा गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों को ट्रैक्टर रैली के दौरान शान्ति कायम रखने की अपील करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार भारतीय गणराज्य की सच्ची भावना में किसानों की आवाज़ सुने ।
चंडीगढ़ में 25 जनवरी को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों द्वारा गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाली जा रही ट्रैक्टर रैली को भारतीय गणराज्य और इसके संवैधानिक नैतिक-मूल्यों के जश्नों का प्रमाण करार दिया है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों को ट्रैक्टर रैली के दौरान शान्ति कायम रखने को यकीनी बनाने की अपील की, जैसे कि वह अब तक कृषि विरोधी कानूनों के खि़लाफ़ करते आए हैं।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को एक बार फिर भारतीय गणतंत्र की सच्ची भावना में किसान भाईचारे के संकट को सुझलाने के लिए उनकी आवाज़ सुनने की अपील की है।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या के मौके पर संदेश जारी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इन संघर्षशील महीनों में अमन-शान्ति आपके (किसान) लोकतांत्रिक संघर्ष की मिसाल बनी रही और राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर रैली समेत आने वाले दिनों में आपके आंदोलन के दौरान यही भावना बरकरार रहनी चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने मुख़ाबत होते हुए कहा, ‘‘कल राष्ट्रीय राजधानी की सडक़ों पर आपके ट्रैक्टर निकलने का दृश्य इस तथ्य का सूचक होगा कि भारतीय संविधान और हमारे गणतंत्र के सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं हो सकता और न ही इनको अलग किया जा सकता है।
किसानों द्वारा अपनी होंद की ख़ातिर किया जा रहा संघर्ष हमें हमेशा इस सत्य की याद दिलाएगा और यह याद रखने में भी मदद करेगा (कहीं हम भूल न जाएं) कि जैसा कि हम जानते हैं कि जिन सिद्धांतों पर भारत का ढांचा खड़ा है और जिसके निर्माण के लिए हमारे बड़ों ने अथक संघर्ष किया, उसे कुछ एक लोगों की मनमजऱ्ी से मिटाया या गिराया नहीं जा सकता।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि हमारा संघीय ढांचा मौजूदा हुकूमत के अधीन सबसे बड़े ख़तरे का सामना कर रहा है। जिस अपनी मजऱ्ी से बिना किसी बहस या विचार-चर्चा के तीन कृषि कानून लागू किए गए, वह ढंग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बर्दाश्त करने योग्य हो ही नहीं सकता।
केंद्र सरकार के पास कृषि जैसे राज्यों से सम्बन्धित विषय पर कानून बनाने का कोई अधिकार है ही नहीं और कृषि कानूनों को लागू करना हमारे संविधान और संघीय ढांचे, जिसका यह प्रतिनिधित्व करता है, के हरेक सिद्धांत की सरासर उल्लंघना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक साझी लड़ाई है, जिसमें उनकी सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, का उद्देश्य भारतीय संविधान के संघीय ढांचे की हिफ़ाज़त करना है।
अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘हम हरेक उस किसान के साथ खड़े हैं जिसके ख़ून-पसीने ने दशकों तक पंजाब की धरती को सींचा है और जिनके बगैर भारत एक आत्मनिर्भर देश नहीं बन सकता था।
हरेक मृतक किसान के एक पारिवारिक सदस्य को नौकरी और मुआवज़े के अलावा हम उनके परिवारों को अन्य किसी भी तरह की संभव मदद मुहैया करने के लिए तैयार हैं। भारत सरकार तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए दिल्ली की सरहद पर डटे किसानों के परिवारों तक हम अपनी पहुँच जारी रखेंगे।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस आंदोलन में मृत हो चुके सभी किसानों को श्रद्धा के फूल भेंट करते हुए कहा कि लंबे समय से चल रहे इस आंदोलन को पहली बात तो टाला जा सकता था और इसके बाद भी काफ़ी देर पहले ख़त्म हो सकता था, यदि भारत सरकार अनावश्यक जि़द पकड़ कर न बैठ जाती।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों को रद्द करने से इन्कार किए जाने की जि़द करने के पीछे कोई उचित वजह नजऱ नहीं आती और यह कानून भी किसानों और अन्य सम्बन्धित पक्षों के साथ सलाह-परामर्श किए बिना अपनी मजऱ्ी से लागू कर दिए गए।
भारत की स्व-निर्भरता और तरक्की में पंजाब के किसानों के योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों ने अपना ख़ून-पसीना इसलिए नहीं बहाया था कि वह अपने मुल्क, जो न्याय, आज़ादी, समानता और गौरव के संवैधानिक आदर्शों को पिरोया हुआ है, को बीते छह वर्षों और ख़ासकर राष्ट्रीय राजधानी की सरहदों पर हमारे किसानों के दो महीनों से चल रहे आंदोलन के दौरान सोचे समझे ढंग से लताड़े जा रहे मुल्क के तौर पर देखें।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों और हमारे लोगों के हरेक वर्ग की आवाज़ को दबाया जा रहा है और हमें यह यकीनी बनाना पड़ेगा कि उनकी आवाज़ न सिफऱ् सुनी जाए बल्कि उस पर अमल भी हो।’’
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय गणराज्य के जश्न भारत की तरक्की में पंजाब और यहाँ के किसानों के दिए योगदान का जि़क्र किए बिना अधूरे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसको तब तक अर्थहीन माना जायेगा जब तक केंद्र विनम्रता के साथ यह स्वीकार नहीं करता कि उसने हमारे साथ गलत किया है।
केंद्र तुरंत अपनी भूल को सुधारे और इन कृषि कानूनों को रद्द करके किसानों के साथ विचार-विमर्श कर नए सिरे से शुरुआत करे, क्योंकि कृषि मुद्दों पर उनके फ़ैसले पंजाब सरकार के साथ अन्य राज्यों को सीधा प्रभावित करते हैं।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘यही भारतीय गणराज्य और संविधान की मूल भावना के हित में होगा।’’
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