आधा व्यंग्य : दुनियाभर में कोरोनावायरस से उपजी त्रासदी के बीच सरकारें और जनता कोरोना की वैक्सीन या टीके का इंतज़ार कर रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस समय विश्व के कई देशों में 154 वैक्सीन पर क्लीनिकल ट्रायल का काम जारी है और इनमें 44 वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल चल रहा है।
इस समय कोई वैक्सीन तैयार नहीं है लेकिन उलट इसके भारत में राजनीतिक दल और सरकारें लाॅलीपाप की तरह जनता को आश्वासन दे रहे हैं कि सबको मुफ़्त में कोरोना (COVID-19) का टीका लगाया जाएगा।
चुनावी माहौल के बीच बिहार और मध्यप्रदेश में नेताओं ने जनता को आश्वासन देने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी कि जब टीका आएगा सभी को मुफ़्त लगा दिया जाएगा। गोया कोरोना का टीका नही हुआ, पेड़ पर लगा केला हो गया कि तोड़ा और बाँट दिया।
किसी भी परिपक्व लोकतंत्र में राजनेताओं को इस तरह कि बात नहीं करनी चाहिए जो लोगों को बरगलाने वाली हो।
प्रतीकात्मक इमेज
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा है कि टीका लगाने लगाने की व्यवस्था और तैयारी चल रही है। प्रधानमंत्री ने 24 अक्टूबर को भी कहा कि टीका जल्द से जल्द प्रत्येक भारतीय तक कैसे पहुंचे इसके लिए भी सरकार की तैयारी जारी है। एक-एक नागरिक तक पहुंचे इसके लिए तेजी से काम हो रहा है।
अब फिर वैक्सीन पर आते है। भारत में भी कोवैक्सीन पर काम चल रहा है। दूसरी ओर यह खबर तकलीफ़देह है कि ब्राज़ील में एक वालेंटीयर की मौत हो गई जिसने अपने आपको कोरोना टीके के परीक्षण के लिए अनुमति दी थी। डाॅ रेड्डीज ने दुनियाभर में टीके का काम कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया क्योंकि डाटा इधर-उधर हो गया था।
ऑक्सफोर्ड ने भी टीका के बारे में कोई जल्दबाजी नहीं की है। अलबत्ता रूस के राष्ट्रपति ने ज़रूर दो दो टीके बनाने के दावे कर दिये ।
इधर भारत में भी बेंगलुरु स्थित बायोकॉन लिमिटेड की प्रबंध निदेशक श्रीमती किरण मजूमदार.शॉ ने कहा कि जून महीने तक टीका आ सकता है। इसके मायने यह हुए कि जून भी अभी आठ महीने दूर है।
मजूमदार शॉ का यह भी कहना है कि जून तक टीका आ भी गया तो इसे सभी भारतीयों तक पहुंचाना चुनौतियों भरा काम होगा।
लोगों को यह समझने की ज़रूरत है कि टीका कैसे लगाया जाएगा? उसे किस तरह गाँव-गाँव पहुँचाया जाएगा? टीका गाँव तक पहुँचेगा कैसे?
भारत जैसे विशाल देश में जहाँ 130 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं, टीका लगाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की एक बड़ी फ़ौज की जरू़रत होगी।
उदाहरण के लिए देखें तो भारत की ग्रामीण आबादी लगभग 94.62 करोड़ है। इसमें कुछ बड़े राज्यों पर नज़र डालें तो उत्तर प्रदेश में लगभग 17 करोड़, बिहार में 10 करोड़, पश्चिम बंगाल में 7.51 करोड़ और जम्मू-कश्मीर में 10 करोड़ ग्रामीण आबादी है। इनमें एक अनुमान के अनुसार 80 करोड़ से अधिक वयस्क होंगे।
वास्तव में यह टीकाकरण अभियान नये प्रकार का होगा जहाँ व्यापक सतर पर वयस्कों के टीके लगाये जाएँगे।
कोरोना का टीका या वैक्सीन आ जाने के बाद वयस्क टीकाकरण इतने बड़े पैमाने पर करना होगा जो पहले कभी किया नहीं गया। यह अपने आप में एक हार्ड टास्क की तरह होगा।
टीका अभियान से पहले यह भी समझें कि भारत में स्वास्थ्य व्यवस्थ कैसी है यानी प्राथमिक स्वाास्थ्य केन्द्र आदि कितने हैं?
स्वास्थ्य मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार देश के ग्रामीण इलाकों में 24855 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। इसके अलावा 5335 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं।
कोरोना का टीका लगाने के लिए भारत का यह हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर नाकाफी है लेकिन लोगों को इस बात का भरोसा रखना होगा कि प्रधानमंत्री इस दिशा में सचेत हैं।
अब याद करिये पोलियो के टीकाकरण को। कई सालों से लगाया जा रहा है और यह एक सतत प्रक्रिया बन गई है। यहाँ रोगों और टीके की हम चर्चा नहीं कर रहे हैं। स्थिति को समझने के लिए उदाहरण के रूप में यह बात कही है।
यों पोलियो का टीका आशा कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों द्वारा दिया जा सकता है, लेकिन कोविद के टीके इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन होंगे और टीका या वैक्सीन लगाने के लिए नर्स, डॉक्टर, एमबीबीएस छात्रों की आवश्यकता होगी। मानव संसाधन के अलावा, कोल्ड चेन के लिए बुनियादी ढाँचा खड़ा करने की भी ज़रूरत होगी। इसमें कोई संदेह नहीें कि केन्द्र सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
और लोगों के लिए एक सुझाव, कोरोना काल में एक ही मज़ेदार चीज है, ख़्वाब देखें और अच्छा ख़्वाब देखें। …और मनमाफिक ख्वाब आजाए तो उससे मज़ेदार टिकटाॅक या जोश भी नहीं हो सकते । सो वैक्सीन के बारे में अच्छा अच्छा सोचिये और टेंशन दूर करने के लिए कंगना रनौत और उद्धव ठाकरे की जुगलबंदी के ट्विटरिया मैसेज पढ़ते रहिये ।-बृजेन्द्र रेही
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