कोरोना संक्रमण से प्रो नवलकिशोर का उदयपुर में 16 मई, 2021 को निधन हो गया। वे पिछले दो सप्ताह से कोविड-19 से लड़ रहे थे।
विख्यात आलोचक और सुखाड़िया विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो नवलकिशोर ‘मानववाद और साहित्य’ जैसे कालजयी ग्रंथ के लिए हिंदी जगत में सम्मानित थे।
उनके वैचारिक आलेख कल्पना, आलोचना और नया प्रतीक जैसी उत्कृष्ट हिंदी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे।
फोटो (डीवीआई फोटो लायब्रेरी से) : उदयपुर में 6 अक्टूबर, 1976 को आयोजित एक संगोष्ठी में प्रो नवलकिशोर
राजस्थान साहित्य अकादमी के विशिष्ट सम्मान से विभूषित प्रो नवलकिशोर जीवन पर्यंत साहित्य के अध्ययन में लगे रहे।
हिंदी आलोचना को गहरे वैचारिक संदर्भों से समृद्ध करने वाले प्रो नवलकिशोर की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई थीं। वर्ष 2019 में उनकी नयी किताब :’प्रेमचंद की प्रगतिशीलता’ का प्रकाशन हुआ और उनकी पुरानी किताबों के नए संस्करण भी आए।
प्रो नवलकिशोर के शिष्य तथा राजस्थान विद्यापीठ के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो मलय पानेरी ने श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि उदयपुर के साहित्य रसिकों में उनका नाम अग्रणी रहेगा जो अपनी वय के बावजूद निरन्तर नया पढ़ने के लिए प्रतिदिन पुस्तकालय जाते थे।
कवि और निबंधकार डॉ सदाशिव श्रोत्रिय ने उनके निधन को साहित्य के लिए गहरी क्षति बताते हुए कहा कि प्रो नवलकिशोर अपनी कथा आलोचना के लिए सदैव याद किए जाएंगे।
राजनीति विज्ञानी प्रो अरुण चतुर्वेदी ने साहित्यिक पत्रकारिता और ज्ञान मीमांसा के क्षेत्र में नवलकिशोर के योगदान को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने नन्द बाबू के साथ उनके प्रगाढ़ संबंधों को अविस्मरणीय बताया।
उनके शिष्यों में रहे साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव डॉ लक्ष्मी नारायण नन्दवाना ने उनके सरल स्वभाव और गहन विद्वत्ता को दुर्लभ संयोग बताया। उनके परिवार में एक पुत्र डॉ अनामेंद्र शर्मा हैं जो आर एन टी मेडिकल कालेज में ऑर्थोपेडिक विभाग में आचार्य हैं।
प्रो नवलकिशोर को डॉ हुसैनी बोहरा, डॉ ममता पालीवाल, डॉ राजेश शर्मा, डॉ बालमुकुंद नन्दवाना, डॉ ललित श्रीमाली, डॉ गजेंद्र मीणा सहित नगर के साहित्यप्रेमी और शिक्षा समुदाय ने भी श्रद्धांजलि दी है।
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