वंदना रावत===== कई साल पहले अपने परिवार के साथ देहरादून घूमने आई थी। एक सड़क पर बहुत बड़ा सा होर्डिंग टंगा था ‘कैलाश हॉस्पिटल’। ध्यान से देखा तो होर्डिंग लटक कर ‘लाश हॉस्पिटल’ ज्यादा पढ़ा जा रहा था। मैं मन ही मन काफी हंसी थी तब।
मैं इन दिनो राजस्थान के भिवाड़ी में रह रही हूँ, जहाँ मेरा अपना घर है। वहाँ कुछ दिन पहले मुझे कोरोना हो गया। इसमे मेरे फेफड़े और दूसरे ऑर्गन्स को बीमारी ने जकड़ लिया था। दिल्ली एनसी आर में कहीं बैड आदि नहीं मिलने के कारण एंम्बुलेंस से मुझे देहरादून के उसी कैलाश हास्पिटल में लाया गया।
भिवाड़ी से रवाना होने के बाद रास्ते भर मुझे अपने बचने की उम्मीद का सिरा अपने छोटे भाई ने दे रखा था। उसे लग रहा था कि मैं हिम्मत रखूं…. और बस थोड़ा-थोड़ा, पल-पल हिम्मत जुटाती रही । एक ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे मेरा छोटा भाई यहां ‘कैलाश हॉस्पिटल’, देहरादून लाया। उसने दिल्ली एनसीआर में आक्सीजन सिलेंडर भरवाने में जो ज़द्दोजहद और तकलीफ उठाई उसकी कहानियां और हॉस्पिटल्स की मनमानियां मैं किसी और दिन लिखूंगी।
लगभग 4 घंटे का सफर तय करने के बाद उस मुश्किल दौर में हम यहां पहुंचे। पूरे रास्ते लगभग दो सौ- ढाई सौ किलोमीटर के सफर में मैं अपने भाई का हाथ पकड़े रही। देहरादून पहुंचकर वो हास्पिटल में अंदर तक आया और मेरे साथ रहा।
मन में चिन्ता थी कि अब मुझे अस्पताल में अकेले रहना है, क्या होगा? लेकिन कोरोना मरीज का अकेले में रहकर बीमारी से लड़ने और मरीज के मन से डर भगाने में कैलाश हास्पिटल ने जोे मिसाल कायम की है, मेरे पास उसके लिए कोई उचित प्रशंसनीय शब्द नही है। मैं सभी के लिए प्रार्थनाएं कर सकती हूं और दुआएं दे सकती हूं बस।
मेरी सांसों को बचाने में यहां के प्राकृतिक वातावरण, कैलाश हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर्स, स्वीपर सभी का सहयोग है। हर कोई बस आपको सभालता है, आपको जीने की प्रेरणा और हिम्मत देता है। शायद इसीलिए ये देवभूमि उत्तराखंड है जहां के लोग पवित्र मन और भाव से अनजान होते हुए भी जान न्योछावर कर देते हैं। हालांकि मेरी लड़ाई अभी लंबी है पर चारों तरफ फैले आक्रोश और नेगेटिविटी पर से झीना सा पर्दा हटाने की ये मेरी कोशिश है।
प्लीज रेस्पेक्ट हॉस्पिटल स्टाफ। वो हमारे रक्षक हैं । बहुत कम उमर में कॉलेज पास करके बच्चे अपना कैरियर छोड़कर हमारी सेवा कर रहे हैं। उनको सपोर्ट और प्रोत्साहन की बहुत जरूरत है।
आगे के आर्टिकल में मैं उन डॉक्टर्स के बारे में भी कुछ तथ्य रखूंगी जो कही देश के दूरदराज इलाकों में लोगों की सेवा कर रहे हैं।
मेरा फोकस अपने अनुभव को साझा करते हुए फिलहाल त्रिवेंद्र सरकार की अच्छी व्यवस्था और कोरोना वॉरियर्स के सेवा भाव को आगे लाने की है।
प्लीज प्रार्थना करे मेरे लिए और मेरे जैसों अनेकों के लिए जो हर पल कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। आप सब जागरूक रहें, कोरोना से बचाव के सभी उपाय करें, लापरवाह न हों और स्वस्थ रहें।
— वंदना
एचसीएल टेक्नोलॉजीज
फ्रीलांस राइटर इन डिफरेंट ऑनलाइन मैगजीन