COVID-19

कोविड-19 के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ी चपत लगने की आशंका

विश्व भर में कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी का फैलना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए त्रासदीपूर्ण नतीजों का सबब रहा है, लेकिन इसकी एक बड़ी आर्थिक क़ीमत भी चुकानी पड़ सकती है. यूएन की व्यापार और विकास मामलों की एजेंसी (UNCTAD) ने आशंका जताई है कि कोविड-19 की वजह से कुछ देशों को मंदी का सामना करना पड़ेगा और वार्षिक वैश्विक वृद्धि दर 2.5 फ़ीसदी से भी नीचे रहने की आशंका है.

2.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि वैश्विक अर्थव्यवस्था  के लिए आर्थिक मंदी की दहलीज़ मानी जाती है.

विश्व अर्थव्यवस्था के लिए सबसे ख़राब परिदृश्य 0.5 प्रतिशत की रफ़्तार से आर्थिक वृद्धि और सकल घरेलू उत्पाद को दो ट्रिलियन डॉलर का नुक़सान होगा. अगर इस स्थिति को किसी तरह टाल भी दिया जाए तो भी एक ट्रिलियन डॉलर का नुक़सान होने की आशंका प्रबल है.

यूएन एजेंसी में वैश्वीकरण और विकास रणनीति विभाग में निदेशक रिचर्ड कोज़ुल-राइट ने बताया कि, “हम वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी होने की संभावना देख रहे हैं जो इस वर्ष दो फ़ीसदी से कम रहेगी. इससे शायद क़रीब एक ट्रिलियन डॉलर का नुक़सान होगा.”

चीन से माल की आपूर्ति की अनिश्चितता, सप्लाई चेन में आए व्यवधान और तेल की मांग में कमी के कारण सोमवार को वित्तीय बाज़ारों में ज़बरदस्त गिरावट दर्ज की गई. यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि बहुत कम देश ही ऐसे होंगे जो इस वायरस के वित्तीय दुष्प्रभावों से अछूते रह पाएंगे.

In New York, people are traveling on a subway train with a precautionary face mask. UN Photo/Loey Felipe

यूएन अर्थशास्त्री रिचर्ड कोज़ुल-राइट का मानना है कि तेल की क़ीमतों में भारी गिरावट असहजता और भय की एक बड़ी वजह है.

उन्होंने कहा कि अभी पक्के तौर पर यह बता पाना मुश्किल है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाज़ार कोविड-19 के प्रभावों पर किस तरह की प्रतिक्रिया देंगे लेकिन अभी तक के हालात दर्शाते हैं कि विश्व में अत्यधिक बेचैनी है.

“एक बेचैनी का एहसास है जो स्वास्थ्य पर मंडराते गंभीर और चिंताजनक ख़तरे से परे जाता है. इसके आर्थिक दुष्परिणाम भी बेहद परेशान कर देने वाले हैं.” उन्होंने कहा कि इस को दूर करने के लिए सरकारों को इस समय ख़र्च में बढ़ोत्तरी सहित और क़दम लेने होंगे नहीं तो आने वाले दिन और भी कठिनाई भरे हो सकते हैं.

कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं

जब संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अर्थशास्त्री से पूछा गया कि चीन, अमेरिका सहित अन्य देशों पर इसका किस तरह प्रभाव पड़ेगा तो उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि अर्थव्यवस्था को फिर पटरी पर लाने के लिए चीन सरकार या तो ख़र्च में बढ़ोत्तरी करेगी या फिर टैक्स में कटौती.

उन्होंने कहा कि यह क़रीब-क़रीब निश्चित है कि चीन ऐसा ही करेगा.

साथ ही चुनावी साल में अमेरिका भी टैक्स में कटौती और ब्याज़ दरों में कटौती से आगे जाकर प्रयास कर सकता है ताकि अर्थव्यवस्था को सहारा दिया जा सके. योरोप का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां की अर्थव्यवस्था पहले से ही ख़राब दौर से जूझ रही है.

उन्होंने आशंका जताई कि यह लगभग निश्चित है कि आने वाले महीनों में योरोपीय अर्थव्यवस्था को मंदी का सामना करना पड़ेगा और जर्मन अर्थव्यवस्था ख़ासतौर पर नाज़ुक हालत में हैं.

इसके अलावा इटली और योरोप में अन्य देश भी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और हाल के दिनों के रूझान उन मुश्किलों को बढ़ा रहे हैं. अल्प विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं आम तौर पर कच्चे माल की बिक्री पर निर्भर होती हैं.

मौजूदा हालात में कर्ज़ के बोझ तले दबे विकासशील देश, ख़ासतौर पर वस्तुओं का निर्यात करने वाले देशों को एक बड़े ख़तरे का सामना करना पड़ेगा. इन हालात से निपटने के लिए नीतिगत बदलाव लाने और संस्थागत सुधारों पर बल दिया गया है ताकि चीन से उपजे स्वास्थ्य संकट को विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी का सबब होने से रोका जा सके.

विश्वव्यापी महामारी का ख़तरा बढ़ा

इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि यह वायरस इतने देशों में अपने पैर पसार चुका है कि विश्वव्यापी महामारी का ख़तरा अब बेहद वास्तविक हो गया है.

लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि इतिहास में यह पहली ऐसी विश्वव्यापी महामारी होगी जिस पर क़ाबू पाया जा सकता है. इस सप्ताहांत इस वायरस के पीड़ितों की संख्या एक लाख का ऑंकड़ा पार कर गई और अब इसके मामलों की पुष्टि 100 से ज़्यादा देशों में हो चुकी है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि निर्णायक और जल्द से जल्द कार्रवाई के ज़रिए इस वायरस के फैलने की गति को धीमा किया जा सकता है और संक्रमणों की रोकथाम की जा सकती है. इस बीमारी से संक्रमित अधिकतर मरीज़ ठीक हो जाएंगे.

“चीन में 80 हज़ार से ज़्यादा मामलों में 70 प्रतिशत से ज़्यादा लोग पूरी तरह ठीक हो गए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई है.”

यूएन स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख के मुताबिक यह भी ध्यान देना होगा कि अब तक इस बीमारी के 93 फ़ीसदी से ज़्यादा मामले चार देशों से सामने आए हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सदस्य देशों के लिए जारी अपने दिशानिर्देशों को मुख्यत: चार श्रेणियों में विभाजित किया है:

  • ऐसे देश जहां कोविड-19 के मामले सामने नहीं आए हैं
  • वे देश जहां छिटपुट मामलों का पता चला है
  • ऐसे देश जहां कुछ ख़ास स्थानों से ज़्यादातर केस सामने आए
  • वे देश जहां समुदायों में संक्रमण फैल रहा है

विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोशिश सभी देशों में वायरस के संचारण की रोकथाम करना है.

पहली तीन श्रेणियों में देशों को जल्द से जल्द नए मामलों का पता लगाने, परीक्षण करने, संक्रमितों को अलग करने और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने पर ज़ोर दिया गया है.

जिन देशों में समुदायों में तेज़ी से यह वायरस फैल रहा है वहां सभाओं व समारोहों को स्थगित करने, स्कूल बंद करने और अन्य ऐसे क़दम उठाने का सुझाव दिया गया है.

(संयुक्त राष्ट्र समाचार)