evapotranspiration

क्या भविष्य में सूखे की अधिक मार झेलनी पड़ सकती है?

क्या भविष्य में लोगों को सूखे (drought) की अधिक मार झेलनी पड़ सकती है? हाँ, ग्लोबल वार्मिंग (global warming) के कारण पृथ्वी का जल चक्र बदल रहा है और अधिक सूखे (drought ) का कारण बन सकता है। यह बात नासा की एक रिपोर्ट में कही गई है जो हाल ही में ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

इण्डिया टुडे की वेबसाइट ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित करते हुए टिप्पणी की है कि जैसे.जैसे वैश्विक जलवायु गर्म होती जा रही है, जल चक्र खतरनाक दर से प्रभावित हो रहा है। नए अध्ययन से पता चलता है कि भविष्य में और अधिक सूखा (drought ) पड़ सकता है।

रिपसेर्ट के अनुसार जल चक्र, एक प्राकृतिक घटना है जिसके माध्यम से पौधे और भूमि की सतह हवा में नमी छोड़ते हैं । 17 वर्षों में हुए अध्ययन तेजी से बदलाव का संकेत देता है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी को गर्म कर रहा है।

शोधकर्ताओं ने 2003 और 2019 के बीच इस प्रक्रिया में 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। जिसे ‘वाष्पीकरण’ (evapotranspiration) कहा जाता है। महासागरों और महाद्वीपों के बीच पानी के बड़े पैमाने पर परिवर्तन पर अध्ययन से पता चला है कि वृद्धि की यह दर पिछले अनुमानों की तुलना में दो गुना अधिक है।

वाष्पीकरण (evapotranspiration) वैश्विक जल चक्र की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो एक चक्र है जो भूमि पर जीवन के लिए स्थायी परिस्थितियों का निर्माण करता है। नासा के पास्कोलिनी.कैंपबेल के नेतृत्व में अध्ययन नेचर में प्रकाशित हुआ था।

वाष्पीकरण वैश्विक जल चक्र को कैसे प्रभावित करता है?
जल चक्र सतह से निकलने वाली नमी का एक नाजुक संतुलन है क्योंकि जल, वाष्प बनकर हवा में उठता है और बारिश के रूप में नीचे आ जाता है। वर्षा से उपयोग पौधों, जानवरों और मनुष्यों को जीवन मिलता है। अगर जलवायु का गर्म होना जारी रहता है तो इससे भूमि और वनस्पति का तेजी से सूखना जारी हो सकता है। इससे मौसम का मिजाज प्रभावित हो सकता है क्योंकि भूमि से वाष्पीकरण बढ़ने से कुछ क्षेत्रों में सूखा (drought ) पड़ सकता है। यह स्थिति मानव अस्तित्व के लिए खतरनाक है।