शास्त्रीय नृत्यों पर केन्द्रित 47 वें खजुराहो नृत्य समारोह के पांचवें दिन नृत्य कलाकारों भारती शिवाजी, पूर्णाश्री राउत और अविजीत दास ने अपनी-अपनी नृत्य प्रस्तुतियों से समा बाँध दिया।
खजुराहो नृत्य समारोह की आज की आकर्षक प्रस्तुतियों में पूर्णाश्री राउत का ‘सखी है’ की थीम पर ओड़िसी नृत्य की लयात्मक और लालित्यपूर्ण प्रस्तुति ने उपस्थित विशाल जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसी क्रम में अविजीत दास द्वारा अभिनव विभाव थीम पर कुचिपुड़ी और भारती शिवाजी एवं साथी कलाकार द्वारा मोहिनी अट्टम समूह नृत्य प्रस्तुतियों ने जहाँ एक ओर समारोह में समा बाँध दिया, वहीं निर्जीव पत्थर की इमारतों में जीवंतता प्रदान कर दी।
शास्त्रीय नृत्य की अप्रतिम प्रस्तुतियों ने कला प्रेमियों को तालियाँ बजाने के लिए मजबूर भी किया।
पूर्णाश्री राउत रायपुर छत्तीसगढ़ की ओड़िसी नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और शिक्षक हैं। रायपुर के मट्ठा पुरेन स्थानीय विद्यालय में दृष्टिहीन मूक बधिर प्रशिक्षकों को शिक्षा देती हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार के कल्याण विभाग द्वारा इस कार्य के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया गया है। अपनी प्रस्तुतियों, कोरियोग्राफी और कार्यशाला के माध्यम से वे उड़ीसा की भाषा का प्रचार-प्रसार भी करती हैं।
असीम उर्जा से परिपूर्ण अविजीत दास भारतीय शास्त्रीय नृत्य कुचिपुड़ी की समृद्ध परंपरा के पक्षकार एवं प्रणेता हैं। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका एवं एशिया के अनेक शहरों में नृत्य प्रस्तुतियाँ दी हैं।
भारती शिवाजी ने केरल के पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य मोहिनीअट्टम में अपरिमित संभावनाओं को तलाशा है। मोहिनीअट्टम में उनके द्वारा किए गए अथक प्रयासों और योगदान के लिए केरल सरकार, नाट्य अकादमी और साहित्य कला परिषद द्वारा सम्मानित किया गया।
खजुराहो नृत्य समारोह में देश के विभिन्न राज्यों के शास्त्रीय नृत्य कला को सजीव नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है। कलाकारों द्वारा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति ने आज के कार्यक्रम को सार्थक बना दिया।
Follow @JansamacharNews