सरकार ने ई-कॉमर्स के माध्यम से व्यापार के लिए भारत में विनिर्मित या उत्पादित उत्पादों के संबंध में 100% एफडीआई अनुमति दी है। खाद्य उत्पादों के निर्माण में पहले से ही 100% एफडीआई की अनुमति दी हुई है। इससे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विदेशी निवेश के प्रोत्साहन में प्रेरणा मिलेगा जिससे किसानों को भी लाभ होगा तथा बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विनिवेश को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित अतिरिक्त वित्तीय रियायतें दी गई हैं:
(अ) रेफ्रिजेरेटेड कंटेनरों के उत्पाद शुल्क में कटौती कर 12.5 प्रतिशत से 6 प्रतिशत करना
(ब) रेफ्रिजेरेटेड कंटेनरों के बुनियादी सीमा शुल्क में कटौती कर 10 प्रतिशत से 5 प्रतिशत करना
(स) 5 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क जो अभी कोल्ड स्टोरेज के लिए आयात परियोजना के तहत उपलब्ध है तथा कोल्ड रूम के पूर्व शीतलन इकाई, पैक हाउस, छंटाई और ग्रेडिंग लाइनों और पकने कक्षों सहित कोल्ड चेन तक भी बढ़ाया गया है।
मेगा फूड पार्क योजना के तहत:
(अ) सिंधु मेगा फूड पार्क, खरगोन (मध्य प्रदेश), झारखंड मेगा फूड पार्क, रांची (झारखंड) और जंगीपुर बंगाल मेगा फूड पार्क, मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) को शुरू कर उद्घाटन भी कर दिया गया है।
(ब) पंजाब के लुधियाना में पंजाब एग्रो उद्योग निगम (पीएआईसी) मेगा फूड पार्क परियोजना की आधारशिला रखी गई थी।
(स) अब तक ऐसे 8 मेगा फूड पार्क कार्यान्वित कर दिए गये हैं।
(द) मुख्यत: ग्रामीण इलाकों में एक मेगा फूड पार्क के जरिए करीब पच्चीस से तीस हजार किसानों को लाभ होता है तथा पांच से छह हजार लोगों को रोजगार भी मिलता है।
(ज) सतारा (महाराष्ट्र), अजमेर (राजस्थान), रायगढ़ (उड़ीसा) और अगरतला (त्रिपुरा) के मेगा फूड पार्क परियोजनाओं का कार्य अंतिम दौर में है तथा जिसके इस वित्तीय वर्ष के अंत तक शुरू हो जाने की प्रबल संभावना है।
(झ) 2000 करोड़ रूपये के “खाद्य प्रसंस्करण कोष” से नाबार्ड ने 10 मेगा फूड पार्कों तथा 2 प्रसंस्करण इकाईयों को 427.69 करोड़ रूपये को ऋण स्वीकृत किया है जिसमें से 81.10 करोड़ रूपया दिया भी जा चुका है।
(च) मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में 157 फूड पार्कों को अधिसूचित किया है।
एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन आधारिक संरचना योजना के तहत:
(अ) इस योजना के तहत वर्ष 2016 में 20 परियोजनाएं शुरू की गई है। इसके शुरू होने के बाद, मंत्रालय ने 2016 में 0.63 लाख मीट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज, 15 मीट्रिक टन प्रति घंटा का व्यक्तिगत क्विक फ्रीजिंग (आईक्यूएफ), 10.65 लाख लीटर दूध का प्रतिदिन प्रसंस्करण/भंडारण और 99 बादबानी वैन की अतिरिक्त क्षमता विकसित किया है।
(ब) पिछले ढ़ाई वर्षों में 54 एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं को शुरू किया गया है जिससे कुल संख्या बढ़कर 91 हो गई है। मंत्रालय ने करीब 135 कोल्ड चेन परियोजनाओं को जिनकी क्षमता 3.67 लाख मीट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज, 94.29 मीट्रिक टन प्रति घंटा का व्यक्तिगत क्विक फ्रीजिंग (आईक्यूएफ), 37.93 लाख लीटर दूध का प्रतिदिन प्रसंस्करण/भंडारण और 549 बादबानी वैन की है, को सहायता प्रदान किया है।
(स) मंत्रालय ने प्राप्त अनुभवों और प्रतिक्रियाओं के आधार पर योजना के दिशा-निर्देशों को निवेशकों के अनुकूल बनाने के लिए संशोधित किया है।
(द) सामान्यत: हरेक कोल्ड चेन परियोजना से फलों और सब्जियों के क्षेत्र में लगे करीब 500 किसानों को तथा डेयरी क्षेत्र में करीब 5000 किसानों को लाभ पहुंचा है और 100 लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।
मंत्रालय ने मेगा फूड पार्क तथा कोल्ड चेन परियोजनाओं के खाली पदों को भरने के लिए ईओआई आमंत्रित किया गया है। मंत्रालय को अब तक 8 खाली मेगा फूड पार्कों के लिए 54 प्रस्ताव और 100 कोल्ड चेन परियोजनाओं के लिए 308 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
बूचड़खानों की स्थापना/आधुनिकीकरण योजना के तहत, गोवा के पणजी में एक परियोजना शुरू किया गया है।
इस वर्ष 10 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं का काम पूरा हो चुका है।
एफएसएसएआई ने उत्पाद अनुमोदन की प्रक्रिया को सरलीकृत किया है:
(अ) अंतर्राष्ट्रीय कोडेक्स मानकों के साथ नए योज्य सामंजस्य की एक बड़ी संख्या को मंजूरी दी है।
(ब) नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया है। इससे इस उद्योग को काफी राहत मिला है।
एक वेब आधारित ऑन लाइन प्रणाली मेगा फूड पार्क और एकीकृत कोल्ड चेन तथा मूल्य संवर्धन आधारिक संरचना योजना के तहत प्रसंस्करण के अनुदान लिए शुरू किया गया है।
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमशीलता और प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम), कुंडली, सोनीपत, हरियाणा तथा भारतीय फसल प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीपीटी), तंजावूर, तमिलनाडु को उत्कृष्टता के केन्द्र के रूप में सरकार द्वारा विकसित किया जा रहा है।
इन संस्थानों के पास होने वालों को 100 प्रतिशत प्लेसमेंट मिल गया है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के पूर्ण विकास के लिए मंत्रालय ने कृषि-समुद्री प्रसंस्करण उत्पादन और कृषि समूहों के विकास (सम्पदा) नामक नई योजना के तहत भी कई कदम उठाए हैं।इसके लिए 14 वें वित्त आयोग ने 6000 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की है।
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