उत्तर प्रदेश के प्रत्येक महानगर में खान-पान की एक ऐसी गली की व्यवस्था करें, जिसमें लोग देश के विभिन्न समाजों के खान-पान का आनन्द प्राप्त कर सकें। यह निर्देश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने दिया।
योगी आदित्यनाथ जी ने आज 25 दिसम्बर, 2022 लखनऊ में सुशासन दिवस पर संगीत नाटक अकादमी में आयोजित ‘संगमम् संस्कृतियों का’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रदेश के संस्कृति विभाग तथा दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है।
कार्यक्रम में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के स्वाद (खान-पान) और संस्कृति का प्रदर्शन किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज क्रिसमस का पावन पर्व है। आज ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एवं भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी की जयन्ती भी है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश की विशेषता अनेकता में एकता है। खान-पान, रंग-रूप, वेषभूषा, भाषा, इन सभी में अनेकता है, लेकिन हम सभी की भाव भंगिमा एक है। उत्तर से दक्षिण तक तथा पूर्व से पश्चिम तक, हम सब एक हैं। यह एकता ही संगमम् है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संगम की परम्परा हमारे यहां अति प्राचीन काल से है। देश का सबसे बड़ा महासंगम प्रयागराज में है। प्रयागराज में गंगा, यमुना तथा अदृश्य सरस्वती का संगम है।
प्रयाग का अर्थ ही संगम है। ऐसे ही उत्तराखण्ड में नदियों के संगम को प्रयाग कहा जाता है। यहां पर विभिन्न नदियों के संगम स्थल-विष्णु प्रयाग, नन्द प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग तथा देव प्रयाग हैं। यहीं प्रयाग आगे बढ़कर प्रयागराज के रूप में हमें देखने को मिलता है।
एकता का यह सूत्र विगत दिनों काशी तमिल संगमम् के रूप में देखने को मिला है। यह संगमम् एक माह तक संचालित किया गया। इसमें तमिलनाडु के 12 ग्रुप यथा-शिक्षक, छात्र, धर्माचार्य, हस्तशिल्पी, ग्राम्य विकास एवं किसान सहित अन्य समूहों के व्यक्ति सम्मिलित हुए। इस ग्रुप का आगमन काशी के बाद प्रयागराज तथा अयोध्या में हुआ।
इस संगमम् ने तमिलवासियों के मन में उत्तर भारतीयों के प्रति विरोधाभाषी बातें एवं दुष्प्रचार को दूर करने में बड़ी भूमिका का निर्वहन किया। प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। काशी तमिल संगमम् मंे आये सभी तमिलवासी बहुत अभिभूत हुए। इसके माध्यम से एकता और प्रगाढ़ होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समारोह में खान-पान के माध्यम से हम सभी को एकता के सूत्र देखने को मिल रहे हैं। यहां पर अलग-अलग समाज यथा जैन, कश्मीरी, मराठा, मलयालम, राजस्थानी, उड़िया, सिन्धी, भोजपुरी, उत्तराखण्डी तथा तेलगू संस्कृति सहित अन्य परम्परा के खान-पान रखे गये हैं।
खान-पान भले ही अलग-अलग परम्परा के हों, खाने-पीने के बाद इनकी ऊर्जा व स्वाद एक जैसा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्कृति विभाग, आवास विभाग तथा विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर प्रदेश के प्रत्येक महानगर में खान-पान की एक ऐसी गली की व्यवस्था करें, जिसमें लोग देश के विभिन्न समाजों के खान-पान का आनन्द प्राप्त कर सकें।
वर्तमान में खेतों में रसायनों के प्रयोग ने अनेक प्रकार की विकृतियां दी हैं। हमें परम्परागत खेती को पुनः आगे बढ़ाना होगा। कोदो, रागी सहित अन्य प्राकृतिक उपज की मांग बहुत अधिक है, जिसे कम पानी में भी उगाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धरती माता हमारे स्वस्थ जीवन हेतु पुष्ट व स्वादिष्ट खाद्यान्न उपलब्ध कराती थीं। रसायनों के उपयोग से उपज भी विष युक्त हुई।
कार्यक्रम में दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला, लखनऊ संस्करण के सम्पादक विजय त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिन्ह प्रदान किया तथा अतिथियों का स्वागत किया।