खुदीराम बोस

खुदीराम बोस जितने बंगाल के थे, उतने ही पूरे भारत के थे 

पश्चिमी मेदिनीपुर, 19 दिसंबर। शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात् केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि खुदीराम बोस जितने बंगाल के थे, उतने ही पूरे भारत के थे।

अमित शाह ने कहा कि आज मुझे स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले शहीद खुदीराम बोस के
जन्म स्थान पर आकर यहाँ की पावन मिट्टी को अपने कपाल पर लगाने का सौभाग्य मिला है।

अमित शाह के वक्तव्य के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं :

  • स्वतंत्रता संग्राम में पश्चिम बंगाल और बंगाली सपूतों का योगदान भारत कभी भुला नहीं सकता है।
  • वे ऐसे वीर युवा थे जिनमें केवल 18 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए, हाथ में गीता लिए देश के लिए फांसी के फंदे को चूमने का साहस था।
  • उस वक्त उनकी लोकप्रियता देश भर में इतनी थी कि कुछ बुनकरों ने धोती पर खुदीराम बोस लिखना शुरू कर दिया था और वह धोती बंगाल के युवाओं के लिए आजादी के आंदोलन में प्रेरणा स्रोत का प्रतीक बन गई थी।
  •  वंदे मातरम का नारा जो वीर शहीद खुदीराम बोस ने फांसी के फंदे पर चढ़ते हुए बोला था, वह पूरे बंगाल और भारत के युवाओं के लिए आजादी के स्वप्न का नारा बन गया था।
  • यह संयोग ही है कि आज ही के दिन महान देशभक्त पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को फी फांसी दी गई थी। आज इन तीनों वीर शहीदों का शहादत दिवस भी है।
  • उन्होंने अग्रेजों के खिलाफ देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया था। मैं आज उन तीनों वीर शहीदों को भी नमन करता हूँ।