गंगा में ग्रामीण इलाकों की गंदगी की रोकथाम जरूरी

नई दिल्ली, 31 जनवरी (जनसमा)।  ‘गंगा में होने वाले प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से बड़े -बड़े शहरों के सीवर तथा औद्योगिक प्रदूषण जिम्मेदार हैं, परंतु आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि गंगा की पूर्ण सफाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से होने वाली गंदगी की रोकथाम भी उतनी ही जरूरी है।’

नई दिल्ली में शनिवार को गंगा किनारे के राज्यों  से आए 1600 से अधिक ग्राम प्रधानों और सरपंचों के एक दिवसीय स्वच्छ गंगा और ग्रामीण सहभागिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने।

केंद्रीय़ जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने गंगा के किनारे स्थिति गांवों के ग्राम प्रधानों और सरपंचों से आग्रह किया है कि वे गंगा संरक्षण की महती योजना में आगे बढ़कर अपना योगदान करें।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा पर राष्‍ट्रीय विमर्श के जरिये परामर्श और जागरूकता कार्यक्रम के जरिए विभिन्‍न हितधारकों के बीच बातचीत सुगम बनाकर ऐसे विचारों को सामने लाना था, जिससे गंगा के पुनरुद्धार संबंधी दीर्घकालिक नीति का निर्माण कर बेहतर समझ विकसित की जा सके।

उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय का नमामि गंगे कार्यक्रम क्रियान्वयन की दिशा की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

सुश्री भारती ने कहा कि ” मैंने स्वंय कई यात्राएं की और यह पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े-बड़े नाले गंगा में गिर रहे हैं और इसे गंदा कर रहे हैं। मेरा मंत्रालय इससे निपटने के लिए पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।’

उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों के निर्माण के लिए इस वित्त वर्ष में जल संसाधन मंत्रालय द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को 263 करोड़ रूपए मुहैय्या कराया गया है।

सुश्री भारती ने सरपंचों से कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में शौचालयों के बारे में उनका यह अनुभव रहा है कि शौचालयों का निर्माण हो जाता है, परंतु उनका प्रयोग नहीं किया जाता।

मंत्री  ने कहा ” मैं आपसे निवेदन करती हूं कि आप अपने क्षेत्र में इस संबंध में जागृति लाएं तथा लोगों के इनके अधिकाधिक प्रयोग के लिए प्रेरित करें। मेरा मंत्रालय ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक Bio-digester शौचालयों के निर्माण पर भी विचार कर रहा है।”

सुश्री भारती ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से नदी में गिरने वाले नालों की रोकथाम का काम केंद्र सरकार के कुछ सार्वजनिक उपक्रमों के सुपुर्द कर दिया है। इन उपक्रमों ने फील्ड सर्वेक्षण का कार्य भी शुरू कर दिया है एवं सर्वेक्षण पूरा होने के बाद इस दिशा में कार्य शुरू हो जाएगा।

उन्होने कहा कि नालों के लिए हम इस प्रकार की योजना बना रहे हैं कि इनके गंदे पानी को जैविक रूप या अन्य तकनीक से शुद्ध कर इसका खेती तथा जब खेती में आवश्यकता न हो तब वाटर रिचार्जिगं में उपयोग किया जा सके। मंत्री महोदया ने कहा कि इस काम में स्थानीय सहभागिता इस तरह से की जाएगी जिससे जल शोधन संयत्र के उपरोंत स्थानीय पंचायतें इस काम को आगे ले जाएं।

इस अवसर पर जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी आगे बढ़ाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, पोत-परिवहन मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, आयुष मंत्रालय तथा युवा मामले और खेल मंत्रालय के साथ अलग-अलग आशय समझौते भी किए।

इस कार्यक्रम को नितिन गडकरी सड़क परिवहन, राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्री, श्रीमती स्मृति जूबिन इरानी, मानव संसाधन विकास मंत्री, चौधरी बीरेंद्र सिंह, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल और स्वच्छता मंत्री, डॉ. महेश शर्मा, पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  सरबानंद सोनोवाल, युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  सांवरलाल जाट , जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री  हरीश रावत, आचार्य बालकृष्ण और संत सींचेवाल ने भी संबोधित किया।

इस सम्‍मेलन में औषधीय पौधों और आजीविका, ग्रामीण ठोस कचरे के परिशोधन और स्‍वच्‍छता विषय पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया।