गडकरी ने ‘भारतीय समुद्री सम्मेलन, 2016’ के संबंध में लोकसभा में दिया बयान

नई दिल्ली, 04 मई (जनसमा)।  जहाजरानी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल में समाप्त हुए भारतीय समुद्री सम्मेलन, 2016 के संबंध में लोकसभा में दिए अपने बयान में कहा कि जहाजरानी मंत्रालय ने मुंबई में 14 अप्रैल से 16 अप्रैल, 2016 तक पहला भारतय समुद्री सम्मेलन (मैरीटाइम इंडिया समिट, 2016) का आयोजन किया था। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय समुद्री क्षेत्र की उस अपार संभावना के बारे में जागरुकता फैलाना था, जिसका दोहन नहीं हुआ है। सम्मेलन के जरिये भारतीय समुद्री क्षेत्र में निवेश की संभावना के बारे में जानकारी दी गई। सम्मेलन का मूल उद्देश्य भारत को एक आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर पेश करना था।

फाईल फोटोः नितिन गडकरी।

गडकरी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल, 2016 को भारतीय संविधान के निर्माता, जनक और भारत में जल और नदी परिवहन नीति के जनक डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। माननीय प्रधानमंत्री ने इस मौके पर सागरमाला कार्यक्रम की राष्ट्रीय नजरिया योजना को जारी किया। राष्ट्रीय नजरिया योजना ने बंदरगाह और राष्ट्रीय राजमार्ग को राष्ट्रीय विकास के एजेंडे के केंद्र में स्थापित कर दिया है।

नितिन गडकरी ने कहा कि इस मौके पर इंटरनेशनल मैरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन के सेक्रेटरी जनरल किटाक लिम, कोरिया गणराज्य के समुद्र और मछली पालन मंत्री किंग युंग सुक ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया । भारत के केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह विदाई सत्र के मुख्य अतिथि थे।

जहाजरानी मंत्री ने कहा कि कोरिया गणराज्य सम्मेलन का साझीदार देश था। सम्मेलन में कोरिया गणराज्य के समुद्र और मछली पालन मंत्री, दो उप मंत्री, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और समुद्री सेक्टर की 50 कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। महाराष्ट्र सम्मेलन का मेजबान राज्य था। मुंबई में सम्मेलन को सफल बनाने में महाराष्ट्र सरकार ने हर संभव सहायता दी।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि सम्मेलन में दुनिया भर के 5200 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में 11 केंद्रीय मंत्रियों, चार समुद्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों/मंत्रियों और इऩ राज्यों से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों ने हिस्सा लिया। अन्य समुद्री राज्यों ने आधिकारिक तौर पर सम्मेलन में हिस्सा लिया था। आठ देशों के मंत्रियों के नेतृत्व में आए प्रतिनिधियों के दल की भागीदारी ने इस सम्मेलन का महत्व स्थापित कर दिया।

उन्होंने कहा कि इस दौरान 14 से 16 अप्रैल, 2016 तक एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें 197 भागीदारों ने हिस्सा लिया। इनमें 81 अंतरराष्ट्रीय कंपनियां थीं। भारत के निजी क्षेत्र के 80 कंपनियां थीं और 36 सरकारी कंपनियां।

नितिन गडकरी ने कहा कि सम्मेलन में भारतीय समुद्री क्षेत्रों की संभावनाओं और विकास के मौके को भुनाने के संबंध में चुनिंदा उद्योगपतियों के साथ शिखर बैठक हुई। इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 19 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया। समुद्री क्षेत्र से जुड़ी भारतीय कंपनियों के 19 सीईओ ने इसमें हिस्सा लिया।

उन्होंने कहा कि इसमें 13 विषयों से जुड़े सत्र आयोजित किए गए। तीन विशेष सत्रों का आयोजन किया गया। ये सत्र सागरमाला, जहाज निर्माण और सुदूर क्षेत्रों से संपर्क, बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और नए बंदरगाहों से जुड़े विषयों से संबंधित थे। समुद्री राज्यों और समुद्री देशों पर आधारित सत्र भी आयोजित किए गए। विभिन्न देशों के 80 नामचीन वक्ताओं ने हिस्सा लिया और श्रोताओं से अपना अनुभव साझा किया।

जहाजरानी मंत्री ने कहा कि इस दौरान कारोबार से जुड़े 140 समझौते हुए। इसके तहत 13 अरब डॉलर की 140 परियोजनाओं से जुड़े समझौते हुए। जहाजरानी मंत्रालय ने अगले कुछ साल तक अपनी 240 करोड़ की परियोजनाओं का प्रदर्शन किया, जिसमें निवेश के मौके हो सकते हैं। इस दिशा में निवेशकों के प्रस्तावों को निपटाने और उनकी सुविधा के लिए जहाजरानी मंत्रालय में एक सुविधा केंद्र खोलने के प्रस्ताव रखा गया है।