नई दिल्ली, 26 जनवरी | इस साल गणतंत्र दिवस परेड में 17 राज्यों की झांकियों ने भाग लिया और देश की विविधता का प्रदर्शन किया, जिसमें जीव-वनस्पति, भाषा, धर्म, नस्ल और सांस्कृतिक प्रथाओं का प्रदर्शन किया गया।
उड़ीसा की झांकी में डोला यात्रा का प्रदर्शन था, जो भक्ति पंथ की परंपरा की भगवान डोलोगोविंदा, भूदेवी और श्रीदेवी की यात्रा को दर्शाती है। जबकि अरुणाचल प्रदेश की झांकी में याक नृत्य का प्रदर्शन किया जो राज्य के बौद्ध धर्मावलंबी जनजातियों के महायान संप्रदाय की महत्वपूर्ण नृत्य नाटिका है।
स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की 160वीं जयंती के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र की झांकी ने उनके संघर्ष और योगदान को प्रदर्शित किया। वे सामाजिक सुधार के अलावा शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी जाने जाते हैं।
दुनिया के सबसे पुराने नाटकों में से एक लाई हाराओबा का मणिपुर के मैती समुदाय ने प्रदर्शन किया, जिसमें देवताओं की मूर्तियों के आगे श्रद्धालु पारंपरिक नृत्य करते हैं।
गुजरात की झांकी में उसके कच्छ क्षेत्र की कला-संस्कृति का प्रदर्शन किया गया। जहां एक महिला कढ़ाई का काम कर रही थी। वहीं, लक्षद्वीप ने अपनी समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र और समुद्री संपत्ति का अनावरण किया, जो कि एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य है।
अपने पारंपरिक कला और लोकनृत्य के लिए मशहूर कर्नाटक ने गोरावास का प्रदर्शन किया जो भगवान शिव के उपासक थे।
दिल्ली सरकार ने शहर की स्कूली शिक्षा में बदलाव को प्रदर्शित किया। खासतौर से ‘मॉडल स्कूल’ की अवधारणा का प्रदर्शन किया गया जहां शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के उपाय किए गए हैं।
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ने अपनी झांकी में चंबा रूमाल का प्रदर्शन किया जो चंबा क्षेत्र की पहाड़ी कला का बेहतरीन नमूना है।
हरियाणा ने अपनी झांकी में देश का सबसे प्रासंगिक मुद्दा उठाया और ‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’ आंदोलन का प्रदर्शन किया।
पश्चिम बंगाल की झांकी में दुर्गापूजा पंडालों के बाह्य और आंतरिक हिस्से का उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन किया गया। इसमें प्रशिक्षित कलाकारों ने शिल्प और संस्कृति का प्रदर्शन किया।
पंजाब की झांकी में जागो आइया नृत्य का चित्रण किया गया जो पंजाबी शादी के एक रात पहले की जाती है।
तमिलनाडु की झांकी में राज्य के प्रसिद्ध लोकनृत्य कराकट्टम का प्रदर्शन किया गया, जो ग्रामीण क्षेत्रों में अम्मन मंदिर समारोहों में प्रदर्शित किया जाता है।
गोवा की झांकी में इसके संगीत विरासत को प्रदर्शित किया गया, जिसमें कई वाद्य यंत्र के साथ नृत्य का प्रदर्शन किया गया।
त्रिपुरा की झांकी में शानदार रियांग आदिवासी नृत्य का प्रदर्शन किया गया। यह नृत्य होजागिरी उत्सव के दौरान किया जाता है। इसमें बांस से बने वाद्य यंत्रों को बजाया जाता है।
जम्मू और कश्मीर की झांकी में गुलमर्ग में सर्दियों के खेलों का प्रदर्शन किया जिसके पाश्र्व में कश्मीरी लोक संगीत बज रहा था।
असम की झांकी में पवित्र तीर्थ कामख्या मंदिर का प्रदर्शन किया गया। –आईएएनएस
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