रायपुर, 13 मई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के भू-जल स्तर में लगातार आ रही गिरावट पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे ध्यान में रखकर किसानों से गर्मियों में धान की खेती नहीं करने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि गर्मी के मौसम में धान की खेती के लिए काफी मात्रा में पानी की जरूरत होती है। एक किलो धान पैदा करने में लगभग चार हजार लीटर पानी की खपत होती है।
डॉ. सिंह आज शाम लोक सुराज अभियान के तहत जिला मुख्यालय बालोद में आयोजित विशाल जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने लोक सुराज अभियान को आम जनता का अभियान बताते हुए कहा कि जनता के बीच बैठकर खुली चर्चा से कई नवीन योजनाओं की परिकल्पना बनती है और नई योजनाओं का जन्म होता है।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में बालोेद जिले के विकास के लिए लगभग 61 करोड़ 60 लाख रूपए के 610 विभिन्न निर्माण कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। उन्होंने इस अवसर पर बड़ी संख्या में किसानों तथा अन्य हितग्राहियों को विभिन्न प्रकार की सामग्री और अनुदान राशि के चेक भी वितरित किए। डॉ. सिंह ने बच्चों को मीठा और पौष्टिक दूध पिलाकर बालोद जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए अमृत योजना का भी शुभारंभ किया।
जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा- इस बार बीते मानसून के दौरान कम बारिश के कारण राज्य में सूखे की स्थिति बनी और पहली बार न केवल अकाल बल्कि बहुत से क्षेत्रों में निस्तारी और पेयजल का भी संकट आया। जिन इलाकों में गर्मी के धान की खेती की जा रही है,वहां भू-जल संकट तुलनात्मक रूप से अधिक है। डॉ. सिंह ने कहा – मैं अपने किसान भाई-बहनों से अपील करता हूं कि वे गर्मियों में धान को छोड़कर कम पानी में होने वाली अन्य किसी भी फसल की खेती करें।
डॉ. सिंह ने प्रदेशवासियों का आव्हान करते हुए कहा कि हम सबको अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पानी बचाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने बालोद जिले के करकाभाट में राज्य शासन द्वारा सहकारिता के आधार पर स्थापित शक्कर कारखाने का उल्लेख करते हुए जिले के किसानों से गन्ने की खेती करने का भी आव्हान किया। उन्होंने कहा कि अगर गन्ने की पैदावार बढ़ेगी, तो इस शक्कर कारखाने में उत्पादन बढ़ेगा। हमने और आपने मिलकर इतना बड़ा शक्कर कारखाना यहां खड़ा किया है। इसे खाली रखना उचित नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कवर्धा और सूरजपुर जिले में सहकारिता के आधार पर शक्कर कारखाने बेहतर ढ़ंग से चल रहे हैं। वहां इन कारखानों के स्थापना के बाद गन्ने की खेती के रकबे का भी विस्तार हुआ है और किसानों की आर्थिक स्थिति में चमत्कारिक बदलाव आया है।
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