धारा 144

गहलोत ने टिड्डी प्रकोप को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की

जयपुर, 03 अगस्त। मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर टिड्डी प्रकोप को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन के पूर्वानुमान के अनुसार राजस्थान सहित अन्य राज्यों में खरीफ-2020 एवं रबी 2020-21 की फसलों में होने वाले संभावित नुकसान, कोरोना महामारी के कारण राज्यों की कमजोर आर्थिक स्थिति तथा किसानों के हित में यह निर्णय किया जाना उचित होगा। इससे टिड्डी प्रकोप से निपटने के लिए राज्यों की क्षमता और सुदृढ़ होगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय करे केंद्र सरकार
गहलोत (Ashok Gehlot) ने पत्र में कहा है कि टिड्डी प्रकोप एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। नए टिड्डी दलों की उत्पत्ति पर अंकुश लगाने के लिए उन्हें उनके उद्गम स्थलों पर ही रोकना आवश्यक है। इसके लिए केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय कर टिड्डी से प्रभावित सभी देशों के साथ बातचीत करे, ताकि टिड्डी के प्रभावी नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।
उन्होंने कहा है कि अफ्रीका एवं खाड़ी देशों में व्यापक पैमाने पर टिड्डी का प्रजनन हुआ है। इसके चलते सीमापार से लगातार टिड्डी दलों का राजस्थान सहित अन्य राज्यों में प्रवेश हो रहा है।
टिड्डी अब बहुराज्यीय समस्या
मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि इस वर्ष राज्य में 11 अप्रेल से टिड्डियों का प्रवेश हुआ और 33 में से 32 जिले इसके प्रकोप से प्रभावित हुए हैं।
इस वर्ष राजस्थान के अलावा गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी टिड्डियों का प्रकोप हुआ है। अब यह समस्या बहुराज्यीय समस्या बन चुकी है। देश में इतने बडे़ पैमाने पर टिड्डी का प्रकोप कई दशकों बाद देखा गया है। ऐसे में इस समस्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना सभी प्रभावित राज्यों एवं वहां के किसानों के हित में होगा।
प्रभावी नियंत्रण के बावजूद रबी में किसानों को हुआ एक हजार करोड़ का नुकसान

गहलोत (Ashok Gehlot) ने पत्र में बताया है कि वर्ष 2019-20 में राजस्थान में 12 जिलों का करीब 6 लाख 70 हजार हैक्टेयर क्षेत्र टिड्डी से प्रभावित रहा। भारत सरकार के टिड्डी चेतावनी संगठन एवं राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से टिड्डी दलों को काफी प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया गया, लेकिन फिर भी रबी की फसलों में

किसानों को करीब एक हजार करोड़ रूपए का नुकसान हुआ।

उन्होंने बताया है कि वर्ष 2020-21 में भी राज्य में अब तक करीब 3 लाख 83 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण का कार्य किया गया है, लेकिन विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन के पूर्व अनुमानों के मुताबिक इस वर्ष राज्य में टिड्डी का प्रकोप पहले की तुलना में काफी ज्यादा होने की आशंका है। ऐसे में केंद्र सरकार समय रहते उचित कदम उठाए।
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