गुजरात के कच्छ जिले में मांडवी और जखौ के बीच, जहां चक्रवात टकराने की संभावना है, उन तटों से 0 से 5 किमी की दूरी में आने वाले सर्वाधिक प्रभावित सभी गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थल पर ले जाने का काम आज से शुरू कर दिया गया है।
गांधीनगर, 13 जून। संभावित भीषण चक्रवात ‘बिपरजॉय’ (severe cyclone ‘Biparjoy’) से प्रभावित होने वाले गुजरात (Gujarat) के तटीय जिलों में युद्धस्तर पर राहत और बचाव का कार्य (Relief work) शुरू कर दिया गया है।
राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडे ने गांधीनगर में कहा कि गुजरात में संभावित चक्रवात ‘बिपरजॉय’ से किसी भी प्रकार के जनहानि को रोकने के लिए राज्य सरकार निरंतर कार्यरत है।
मुख्य सचिव राज कुमार ने तटवर्ती जिलों कच्छ, जामनगर, पोरबंदर, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, मोरबी, पाटण तथा बनासकांठा के जिला प्रभारी मंत्रियों, प्रभारी सचिवों, कलक्टरों और प्रशासन के साथ चक्रवात के संदर्भ में सोमवार को गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राहत एवं बचाव कार्य की जानकारी प्राप्त की और आवश्यक मार्गदर्शन दिया।
इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में मोरबी से प्रभारी मंत्री कनुभाई देसाई तथा जामनगर से प्रभारी मंत्री मुळूभाई बेरा ने ऑनलाइन उपस्थित रहकर आवश्यक मार्गदर्शन दिया। केन्द्रीय कैबिनेट सचिव ने सोमवार सुबह चक्रवात के संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर आवश्यक मार्गदर्शन दिया और हर संभव मदद की तैयारी दिखाई।
राहत आयुक्त पांडे ने जिला प्रशासन की तैयारियों के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि गुजरात में चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ से प्रभावित जिलों में 14 और 15 जून को भारी से अति भारी वर्षा (very heavy rain) और 125 किमी प्रति घंटे की अनुमानित रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना है। कल यानी 13 जून से पहले चरण में समुद्र तट से 0 से 5 किमी और उसके बाद 5 से 10 किमी की दूरी पर बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा। इसमें बच्चों, गर्भवती महिलाओं और वृद्धों को प्राथमिकता दी जाएगी। चक्रवात के बाद बिजली आपूर्ति को बहाल करने के लिए पश्चिम गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड (पीजीवीसीएल) की टीमों द्वारा बिजली के खंभों सहित आवश्यक उपकरण सब स्टेशनों में उपलब्ध कराए गए हैं।
उन्होंने कहा कि चक्रवात के दौरान तेज हवाओं और भारी वर्षा से बचाने के लिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए चक्रवात प्रभावित जिलों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की 12-12 टीमें तैनात की गई हैं, इनमें कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर और पोरबंदर में 2-2 टीमें, मोरबी, गिर सोमनाथ, जूनागढ़ और राजकोट में 1-1 टीमें जबकि वडोदरा में 2 और गांधीनगर में एनडीआरएफ की 1 टीमें आरक्षित रखी गई हैं। इसी तरह, एसडीआरएफ की कुल 12 टीमों में से कच्छ, देवभूमि द्वारका और जामनगर में 2-2 टीमें जबकि जूनागढ़, मोरबी, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, बनासकांठा और पाटण में 1-1 टीमें तैनात की गई हैं।
चक्रवात के बाद प्रभावित क्षेत्रों में बाधित सड़कों को खोलने के लिए वन विभाग ट्री कटर के साथ और आवश्यक संसाधनों के साथ सड़क विभाग की टुकड़ियों को तैयार रखा गया है।
पांडे ने कहा कि चक्रवात प्रभावित तटीय जिलों में सरकारी स्कूलों और कार्यालयों में सुरक्षित स्थान-शेल्टर होम तैयार किए गए हैं, जहां रहने, खाने-पीने तथा दवाई आदि की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, निकटवर्ती स्थलों पर हेल्थ सेंटर तथा सरकारी एवं निजी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में चिकित्सा स्टाफ तथा दवाइयों सहित अन्य जरूरी चीजें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई हैं। जिला प्रशासन इन क्षेत्रों के रेल अधिकारियों के साथ भी लगातार संपर्क में है।
उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में जब हवाएं 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी, तब यातायात को बंद कर दिया जाएगा।
पांडे ने कहा कि मौसम विभाग की चक्रवात को लेकर अग्रिम जानकारी के बाद मछुआरे सुरक्षित रूप से वापस लौट आए हैं, जबकि समुद्र तट पर सभी 24,000 बोट सुरक्षित स्थल पर पार्क की गई हैं। बचाव कार्य के लिए संबंधित जिला प्रशासन को आवश्यक सभी सहायताएं तत्काल मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार लगातार उनके संपर्क में है।