गुटनिरपेक्ष सम्मेलन : भारत ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाया

नई दिल्ली, 18 सितम्बर| पाकिस्तान का नाम लिए बिना भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग मंच का इस्तेमाल किया और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक करार के लिए नई दिल्ली की पहल का समर्थन क रने का आग्रह किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र के पटल पर रखा जा चुका है। वेनेजुएला के मारगेरिटा द्वीप में 17वें गुटनिरपेक्ष सम्मेलन को संबोधित करते हुए शनिवार को उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा, “आतंकवाद आज अंतर्राष्ट्रीय शांति और राज्यों की संप्रभुता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।”

उन्होंने कहा कि राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने या नीतियों में बदलाव के लिए साधन के रूप में निर्दोष नागरिकों की हत्या को सही ठहराने का कोई औचित्य नहीं है।

आतंकवाद को आज के समय में मानवाधिकार उल्लंघन का प्रबल स्रोत बताते हुए अंसारी ने कहा, “राज्य की नीतियों के हथियार के रूप में इसके इस्तेमाल की स्पष्ट निंदा की जानी चाहिए।”

उप राष्ट्रपति ने कहा कि यह (आंतकवाद) विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बन गया है।

उन्होंने कहा, “इसलिए गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के लिए यह आवश्यक है कि इस खतरे पर ध्यान देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वैधानिक ढांचा को मजबूत करने के लिए वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रेरित करे।”

अंसारी ने कहा, “हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वैश्विक आतंकवाद से निपटने वाली संयुक्त राष्ट्र की सभी वर्तमान संस्थाएं निष्पक्ष और पेशेवर तरीके से काम करें।”

उपरष्ट्रपति ने आतंकवाद से लड़ने के लिए ठोस कार्रवाई करने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रभावी सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अंदर एक तंत्र स्थापित करने की वकालत की।

विकासशील देशों के इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए अंसारी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन में 53 अफ्रीकी, 39 एशियाई, 26 लातिन अमेरिकी और कैरिबियाई और दो यूरोपीय देश सदस्य हैं।

17 देश और 10 अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं इसके पर्यवेक्षक हैं। इसकी स्थापना 55 साल पहले तब हुई थी जब 25 विकासशील देशों के नेताओं ने बेलग्रेड सम्मेलन में भाग लिया था।

भारत इसके संस्थापक सदस्यों में एक है। साल 1983 में सातवें गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में हुआ था।–आईएएनएस