covid-19

गुरद्वारों की तरह मठाधीश और मंदिर भी मदद के लिए आगे आएं

कोरोना के इस भयावह संकट में गुरद्वारों की तरह सक्षम हिन्दू मंदिरों और मठाधीशों को चाहिए कि वे लोगों की मदद के लिए ठीक वैसे ही आगे आएं जैसे कुंभ स्नान और कलश यात्राओं के लिए जोशखरोश दिखा रहे थे।

यह टिप्पणी हमारी नहीं है। यह बात गांव से लौटकर आए हमारे गार्ड ने कही। उसने कहा ‘सर, हमारे गांव के कुछ लोग तो दिल्ली के गुरद्वारों में इलाज करा रहे हैं। अगर गांव चले जाते तो मर गए होते ।’

मंदिर और मठाधीशों के संदर्भ में यह बात बहुत गहरी है। जयपुर, दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, मथुरा, वृन्दावन, नाथद्वारा, द्वारका, तिरूपति, तंजौर, कुंभकोणम, तिरूअनंतपुरम, मदुरै, श्रीरंगपट्टनम्, माउंट आबू आदि अनेक मंदिरों के प्रबंधकों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। समझदार को इशारा काफी है।

पिछले साल कोरोना काल में अनेक मंदिरों ने लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया था लेकिन इस बार वैसा दिखाई नहीं दे रहा है।खैर,  अब आज के हालात पर नज़र डालते हैं।

भारत में कोरोना (corona in India) का प्रकोप अपने भयावह रूप में बना हुआ है और आज चौथे दिन भी 4 लाख से अधिक संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 8 मई को अपराह्न 11ः37 बजे जारी आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे में 4091 लोगों की मौत हो गई है और 4 लाख 3 हजार 626 नए मामले सामने आए है।

भारत में संक्रमितों की कुल संख्या 2 करोड़ 22 लाख 95 हजार 911 तक पहुंच गई है और स्वस्थ होने वालों की तादाद भी एक करोड़ 83 लाख 11 हजार 498 है।

देश के अस्पतालों और घरों में 37 लाख 32 हजार 467 सक्रिय मामले हें जो स्वस्थ होने का इंतजार कर रहे हैं।

दूसरी ओर टीकाकरण की रफ्तार बहुत धीमी है और अब तक कुल 16 करोड़ 74 लाख लोगों के ही टीका लगा है जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 9 प्रतिशत है।

बीते 24 घंटे में सबसे अधिक 56,875 मामले महाराष्ट्र से ही आए हैं  और बीते 24 घंटे में 864 लोगों की मौत हो गई हैं।

कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की हालत भी क्रिटिकल है। लोग दवाईयों, इलाज, अस्पतालों, आक्सीजन सिलेण्डरों के लिए  भटक रहे हैं।

कई राज्य लोकडाउन की ओर जा रहे हैं। सरकारों के पास प्रशासनिक मशीनरी का अभाव है और बीते 70 सालों में राजनीति की दीमकों ने स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह चाटकर सफाया कर दिया है।

इन हालातों में सामाजिक संगठनों, जातीय संगठनों और लोगों को खुद अपनी मदद करनी होगी। अपने आसपास मदद का हाथ बढ़ाना होगा और सरकारों की ओर देखना बंद करना होगा।

कोरोना (covid-19) के दावानल से जान बचाने के लिए मास्र्क लगाने, साबुन से हाथ धोते रहने और परस्पर दूरी बनाये रखना जरूरी है , नहीं तो मौत दरवाजे के बाहर खड़ी है।

शनिवार को एक चैनल ने यूपी के एक गांव के हालात दिखते हुए जब एक ग्रामीण महिला से पूछा कि आपका कोई इलरज वगैरह हुआ और दवाईयां मिली तो उसने अपने हाथ लहराते हुए कहा ‘जो मिल गया सो मिल गया, नहीं तो ऊपर जाना तय है।’

बीत 24 घंटे में उत्तर प्रदेश से 26,636 मामले सामने आए और 297 लोगों की मौत हो गई।

देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश के गांवों में भी कोरोना का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है लोगों के पास स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। सरकार राहत पहुंचाने के अपने प्रयास तेज कर रही है और मुख्यमंत्री योगी जी स्वयं कई जगह औचक निरीक्षण कर रहे हैं लेकिन हालात इतने बदतर हो रहे हैं कि दिल दहल जाता है।

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराख्ंड, पंजाब आदि राज्यों के कई गांवों से जुकाम, बुखार, आंखों में जलन, शरीर में टूटन और कमजोरी के मामले सामने आ रहे हैं। चैनल इन सब बातों को दिखा भी रहे हैं लेकिन लोगों को इलाज मुहैया कराने की जरूरत है।

राजनीतिक दल चैनलों पर अपनी अपनी सफाईयां देने के बजाय हर स्तर पर लोगों को इमदाद पहुंचाने में जुटे तो बेहतर है। सरकारों की निन्दा या स्तुति से  राहत नहीं मिलनी है। नेतागण अपनी-अपनी ढपली पर राग गाने और नकारात्मकता से बचे और चुनाव आए तो सिरफुटौव्वल करें। अभी तो मदद का हाथ बढ़ाएं इसी में राजीतिज्ञों की भलाई है। बाकी जनता तो अपने-अपने स्तर पर काम कर रही है।

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गुरद्वारों की तरह सक्षम हिन्दू मंदिरों, मठाधीशों और आचार्यों को भी चाहिए कि वे जरूरतमंदों को भोजन, दवाईयां और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के काम में जुटें। देश के शीर्ष मंदिरों को यह बीड़ा उठाना चाहिए।