गेहूँ की नई किस्म

गेहूँ की नई किस्म विकसित, चपातियाँ भी अधिक गुणवत्ता वाली बनेंगी

गेहूँ की नई किस्मनई दिल्ली, 14 अक्टूबर।  भारतीय वैज्ञानिकों ने गेहूँ की नई किस्म विकसित की है, जिससे पैदावार भी अधिक होगी और इस गेहूँ के आटे से चपातियाँ भी अधिक गुणवत्ता वाली बनेंगी।

एम्बर रंग के मध्यम आकार के गेहूँ की नई किस्म में 14 प्रतिशत प्रोटीन, 44.1 पीपीएम जस्ता और 42.8 पीपीएम आयरन होता है, जो अन्य खेती की किस्मों से अधिक है। इस किस्म के गेहूँ पर एक शोध पत्र करंट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज’में प्रकाशित हुआ है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, आगरकर अनुसंधान संस्‍थान (एआरआई)के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मैक्‍स 6478  गेहूँ की नई किस्म  से महाराष्ट्र के एक गाँव करंजखोप में किसानों के लिए फसल की पैदावार दोगुनी हो गई है।

महाराष्ट्र में सतारा जिले के कोरेगाँव तहसील के गाँव के किसानों को अब गेहूँ की नई किस्म के साथ 45-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मिल रही है, जबकि पहले औसत उपज 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, जब उन्होंने लोक 1, एचडी 2189 और अन्य पुरानी किस्में उगाई।

नव विकसित सामान्‍य गेहूं या ब्रेड गेहूं, जिसे उच्च उपज देने वाला एस्टिवम भी कहा जाता है, 110 दिनों में परिपक्व हो जाता है और पत्ती और तने के अधिकांश रोगों के लिए प्रतिरोधी होता है।

इस गेहूँ की नई किस्म के आटे की चपाती की गुणवत्ता उत्कृष्ट है, अच्छी रोटी की गुणवत्ता के साथ 8.05 का स्कोर 6.93 है। बीज गुणन के लिए महाराष्ट्र राज्य बीज एजेंसी, ‘महाबीज’ किसानों के उपयोग के लिए मैक्‍स 6478 के प्रमाणित बीज का उत्पादन कर रही है।

पूर्व बीज प्रमाणीकरण अधिकारी और एआरआई कर्मचारियों के समर्थन से,अब तक गांव के 10 किसानों ने चौदह एकड़ भूमि पर इस किस्म की खेती की है। करंजखोप के किसानों ने आगे बीज उत्पादन और अन्य कृषि उपज के लिए एक कंपनी स्थापित करने की योजना बनाई है।

सारे बदलाव के प्रत्‍यक्षदर्शी किसानश्री रमेश जाधव ने बताया कि “हमें प्रेरित करने के लिए हमें एक चिंगारी की आवश्यकता थी और जो कि एआरआईगेहूं किस्म मैक्‍स6478 द्वारा प्रदान की गई है। अब, हम कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे।”