नई दिल्ली, 09 मार्च (जनसमा)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि गैरकानूनी एजेंटों द्वारा विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर भेजे जाने वाले कामगार ‘मानव तस्करी’ की श्रेणी में आते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए वे इसी सत्र में कानून लाने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह लोग पैसे बना रहे हैं और ‘टोटली फ्रॉड’ हैं। ऐसे लोग न तो राज्यों के पास पंजीकृत हैं और न ही केंद्र सरकार के पास।
टीवी फोटो: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
सुषमा ने यह स्वीकार किया कि विदेशों में भारतीय कामगारों के साथ अत्याचारों की कई शिकायतें सामने आई हैं और यह शिकायतें भी सामने आई हैं कि श्रमिकों को रोजगार देने वाले उनके पासपोर्ट आदि भी रख लेते हैं। सरकार इस दिशा में जागरूक है और इस समस्या के समाधान के लिए निरंतर कदम उठा रही है।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमने राजदूतों को संवेदनशील बनाया है और दूतावासों की यह जिम्मेदारी है कि वे इस प्रकार की शिकायतों पर ध्यान दें। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, ‘‘ट्वीटर पर एक भी मैसेज आता है तो मैं उस समस्या का 24 घंटे के अंदर समाधान करने की कोशिश करती हूं।’’
सुषमा स्वराज ने कहा कि यह समस्या बहुत जटिल है और हम चारों ओर से इस समस्या के सुधार की कोशिश कर रहे हैं। इस व्यवस्था को हम पारदर्शी और जिम्मेदार बना रहे है। इस संबंध में हमारे दो वेब-पोर्टल ‘ई-माइग्रेट’ और ‘मदद’ के माध्यम से विदेशों में रहने वाले लोग अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ‘ई-माइग्रेट’ में रोजगार देने वाले एजेंटों की पूरी जानकारी उपलब्ध है लेकिन जो लोग अनधिकृत तरीके से रोजगार दिलाने के नाम पर लोगों को विदेश भेज रहे हैं वह हमारे अंतर्गत नहीं आते हैं। यह राज्यों के कानून-व्यवस्था का मामला है।
सुषमा स्वराज, शिरोमणि अकाली दल के लोकसभा सदस्य प्रेमसिंह चंदूमाजरा, भाजपा के जगदम्बिका पाल और अन्य सांसदों द्वारा पूछ गए प्रश्नों के उत्तर दे रही थीं।
प्रेमसिंह चंदूमाजरा ने सिखों पर हुए नस्लीय हमलों के बारे में सवाल उठाया तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि इस मामले में जब भी द्विपक्षीय वार्ता होती हैं तो हम इस विषय पर चर्चा अवश्य करते हैं।
सुषमा ने कहा कि फ्रांस और यू.के. के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान ऐसे मुद्दे उठाए गए हैं।
Follow @JansamacharNews