गोबर के दीये

गोबर के दीये बेचकर आमदनी बढ़ा रही हैं छत्तीसगढ़ की महिलाएँ

गोबर के दीये

Women selling dung lamps in Narayanpur

नारायणपुर 07 नवम्बर। छत्तीसगढ़ में स्व सहायता समूह की महिलाएँ दीवाली के लिए गोबर से दीये बनाकर आमदनी बढ़ा रही हैं। दीये के अलावा गमला, खाद, और गोबर की लकड़ी बनाने का काम भी कर रही हैं।

लॉकडाउन के दौरान महिला स्व सहायता समूहों ने अपनी आमदनी जुटाने के लिए गोबर से भी नये विकल्प तलाशे हैं। किसी ने गोबर के इतने बेहतर उपयोगी सामग्री के बनाने के बारे में सोचा भी न होगा, जो इन ग्रामीण महिलाओं ने कर दिखाया है।

गोबर के दीये दीपावली में घर को रोशन करेंगे और साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी होगी।इस जिले में अनेक जगह दीवाली पूजा की थाली में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए गोबर के दीये जलाए जाएंगे।

महिमा स्वच्छता समिति नारायणपुर की महिलाओं ने गोबर से बने दीये को विक्रय करने  कलेक्टोरेट में स्टॉल लगाया और दीये बेचने की शुरुवात की।

स्टाल लगते ही गोबर के दीयों को देखने कई लोग स्टाल पहुँचे और दिये खरीदे।

समिति की महिलाओ ने बताया कि वे दीये के अलावा गमला, खाद एवं गोबर के लकड़ी बनाने के काम में भी जुटी हुई है।अभी तक 15 हजार दीये तैयार किये है, जिन्हें बाजारों में विक्रय किया जाएगा।

हम बाजार से फैक्टरी मेड या आयातित सामग्री को खरीदकर अपने देश के पैसे को अंजाने ही विदेशों में भेज देते हैं। लेकिन अबकी बार आप लोगों की बारी है कि आप दीपावली की सामग्री स्थानीय छोटे.छोटे विक्रेताओं से खरीदकर इन जरूरत मंदों की मदद करने में आगे आयें।

छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना के समन्वय से गांव में ग्रामीणों एवं महिलाओं को रोजगार के साथ ही उनकी आय में इजाफा होने लगा है। गौठानों से जुड़ी महिला समूह अब बड़े पैमाने पर वर्मी खाद के उत्पादन के साथ साथ अब गोबर से अन्य उत्पाद बनाने लग गए हैं और विक्रय कर इससे आमदनी अर्जित करने लगी है।

नगर पालिका एवं ग्राम की स्व सहायता समूह की महिलाएँ इस कार्य मे जुटी है। ज्ञातव्य है कि समूह से जुड़ी इन ग्रामीण महिलाओं ने अब धीरे धीरे बाजार में अपनी पकड़ जमाना शुरू कर दिया है।