नागपुर, 11 अक्टूबर | केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के मार्गदर्शक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को गौरक्षकों का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी तुलना समाज विरोधी तत्वों से न की जाए।
भागवत ने आरएसएस के 91वें स्थापना दिवस पर वार्षिक संबोधन के दौरान कहा, “कुछ लोग हैं जो गौरक्षा के प्रति समर्पित हैं। यह राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है।”
उन्होंने कहा, “गौरक्षक कानून के तहत काम करते हैं, जो लोग कानून का उल्लंघन करते हैं, उन्हें गौरक्षकों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि हिंदुओं की मां मानी जाने वाली गौ माता की सुरक्षा कानून द्वारा की जानी चाहिए और गौरक्षक महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करते हैं। उन्होंने गौसंरक्षण को एक ‘पवित्र मिशन’ करार दिया, जो विरोध के बावजूद लगातार जारी रहेगा।
आरएसएस प्रमुख ने इस दौरान कश्मीर व पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर भी बहुत कुछ बोला।
भागवत ने पाकिस्तान पर जम्मू एवं कश्मीर में अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि जो लोग हिंसा में लिप्त हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए।
भागवत ने आरएसएस के 91वें स्थापना दिवस पर आयोजित सालाना सभा में कहा, “पाकिस्तान कश्मीर में अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा दे रहा है। कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा तनावमुक्त है। हमें उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो हिंसा में लिप्त हैं। समूचा कश्मीर हमारा है, जिसमें मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित-बालटिस्तान भी शामिल हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारी सेना ने इस सरकार के तहत बेहद उत्साहजनक प्रदर्शन किया है। सरकार ने सराहनीय कदम उठाया है। हमारी सीमाओं की रक्षा की जानी चाहिए और उसका अच्छी तरह प्रबंधन किया जाना चाहिए।”
भागवत ने सामाजिक असमानता तथा जातिवाद पर भी चिंता जताते हुए कहा कि इस संबंध में आरएसएस के सर्वेक्षण में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर, मध्य प्रदेश के 9,000 गांवों पर किए गए एक विस्तृत सर्वेक्षण में पता चला है कि इसमें 40 प्रतिशत गांवों में पिछड़ी और दलित जाति को मंदिर में प्रवेश करने को लेकर भेदभाव का सामना करना पड़ा। करीब 30 प्रतिशत गांवों में इन वर्गो को जलस्रोतों से पानी लेने की अनुमति नहीं है और 35 प्रतिशत गांवों में इन्हें श्मशान का इस्तेमाल करने से रोका गया है।
भागवत ने कहा, “स्वंयसेवक इस मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अपने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बंधुओं को संविधान के तहत मिले फायदों के लिए दावा करने और सरकार और प्रशासन से उनके कल्याण के लिए आवंटित राशि को सुनिश्चित रूप से व्यय किए जाने में सहायता करना शुरू कर दिया है।”
भागवत ने कहा, “यह निश्चित तौर से 21वीं शताब्दी में भारत के लिए शर्म की बात होगी यदि एक निर्दोष जाति को किसी एक तुच्छ मुद्दे या किसी एक के खुद को श्रेष्ठ समझने के कारण अपमान और शारीरिक हमले का सामना करना पड़े। यह विभाजनकारी ताकतों को देश की छवि बिगाड़ने का मौका देता है और सामाजिक कल्याण की चल रही गतिविधियों को धीमा कर देता है।”–आईएएनएस
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